आगरा। ताज नगरी में बहुजन समाज पार्टी द्वारा आयोजित रैली में बसपा सुप्रीमो मायावती ने आक्रामक तेवरों के साथ बहुत कुछ साफ कर दिया।
उन्होंने तीखे हमलों के जरिए ये स्पष्ट करने की कोशिश की कि न तो उन्हें स्वामी प्रसाद मौर्या के पलायन से कोई फर्क पड़ा है और न ही आरके चौधरी के पार्टी से इस्तीफा देने से। मायावती ने सपा, कांग्रेस पर वार के साथ-साथ संघ प्रमुख मोहन भागवत को भी आड़े हाथों लिया।
मायावती का संघ प्रमुख भागवत के बयान पर पलटवार
आपको बता दें कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने बीते शनिवार को आगरा में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहा था “कोई ऐसा क़ानून है जिसमें कहा गया है कि हिंदुओ जनसंख्या घटाओ, ऐसा तो कुछ नहीं है। बाक़ी लोगों की (जनसंख्या) क्यों बढ़ रही है, आप की क्यों नहीं बढ़ती।” इस बयान पर मायावती ने पलटवार करते हुए कहा कि ‘वो हिंदुओं को ज़्यादा बच्चे पैदा करने को तो कह रहे हैं, लेकिन वो मोदी जी से ये भी कहेंगे कि उनके लिए रोज़ी-रोटी सुनिश्चित कराएँ।’
सवर्णों को फिर से जोड़ने की कोशिश
मायावती द्वारा आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान से हिंदुत्व को निकालकर राजनीति करने पर इसके कई मायने समझने की कोशिश की जा रही है। भले ही राम को अपना मसीहा न मानने की बात कहकर वे सवर्णों से दूर होने की बात कह रहीं हों। लेकिन मायावती किसी भी तरह से 18 फीसदी सवर्ण मतदाताओं को अपने पक्ष में लाने का हर संभव प्रयास करेंगी।
हारने का मतलब अस्तित्व समाप्त होने जैसा
माया ये अच्छी तरह से जानती हैं कि किसी एक वर्ग के आधार पर यूपी की सत्ता हासिल नहीं की जा सकती। और यूपी चुनाव में बसपा की शिकस्त का मतलब अस्तित्व गुम होने जैसा ही है। इन सबके इतर मायावती उना कांड के अलावा अन्य ऐसे मामले जिसमें दलितों पर हिंसा हुई है….उन सभी में भाजपा को कटघरे में खड़ा कर सियासी नफा तलाशेंगी।