अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बीच होने जा रही विदेश मंत्रियों की बैठक का स्वागत किया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के दौरान दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच बैठक के लिए पाकिस्तान के प्रस्ताव की भारत द्वारा स्वीकृति का अमेरिका ने स्वागत करते हुए इसे ‘शानदार खबर’ कहा।
प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता हीदर नॉर्ट ने कहा, ‘हमने भारत और पाक के नेताओं की मुलाकात को लेकर न्यूज रिपोर्ट देखी है। मेरा मानना है कि यह भारतीयों और पाकिस्तानियों के लिए बड़ी खबर है कि उनके नेता साथ बैठेंगे और बातचीत करेंगे।’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के बीच पत्रों के आदान-प्रदान का हवाला देते हुए, नॉर्ट ने कहा कि इससे भविष्य में द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा मिलेगा। दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच इसे रिश्ते मजबूत होंगे, जिनका प्रभाव भविष्य में यकीनन देखने को मिलेगा।’
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और उनके पाकिस्तानी समकक्ष शाह महमूद कुरैशी के बीच यह मुलाकात होने जा रही है। गुरुवार को ही विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने इस बात की पुष्टि कर दी। उन्होंने बताया कि, ‘पीएम इमरान खान ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था जिसमें न्यूयार्क में स्वराज व कुरैशी के बीच बातचीत से द्विपक्षीय वार्ता की शुरुआत करने की पेशकश की थी। भारत ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। बातचीत का एजेंडा अभी तय नहीं किया गया है, लेकिन उसमें द्विपक्षीय रिश्तों से जुड़े हर मुद्दे पर बात होगी। आतंकवाद भी एक मुद्दा रहेगा।’
स्वराज की मुलाकात पाक विदेश मंत्री से 26 सितंबर को होने के पूरे आसार है। क्योंकि यह सहमति बनी है कि इनकी मुलाकात सार्क विदेश मंत्रियों की बैठक से पहले होनी चाहिए जो 27 सितंबर को होगी। अगर सब कुछ ठीक रहा तो सार्क की शिखर बैठक को लेकर स्थिति भी इस बार साफ हो जाएगी। नवंबर, 2016 में सार्क की शीर्ष बैठक इस्लामाबाद में होनी थी लेकिन आतंकी वारदातों की वजह से सभी दूसरे देशों ने इसमें हिस्सा लेने से मना कर दिया था।
हालांकि अभी भी भारत फूंक-फूंक कर कदम उठाएगा। स्वराज-कुरैशी वार्ता के परिणाम से ही तय होगा कि दोनो देशों के बीच समग्र वार्ता की शुरुआत अभी हो सकेगी या नहीं। समग्र वार्ता यानी कारोबार, ऊर्जा, संस्कृति जैसे दूसरे मुद्दों पर सहयोग करने के लिए संयुक्त वार्ता। यह वर्ष 2012 से ही ठिठकी हुई है। वैसे दोनो देशों के विदेश मंत्रियों की अंतिम बैठक दिसंबर, 2015 में इस्लामाबाद में ही हुई थी।