चुनावी साल में राजनीतिक दलों के साथ ही उम्मीदवारों की व्यक्तिगत तैयारी शुरू हो गई है। टिकट की उम्मीद लगाकर बैठे दावेदारों ने जनता के बीच जनसंपर्क तो महीनों पहले ही शुरू कर दिया था, अब उनके बीच बने रहने के लिए बाकायदा दफ्तर भी खुलने लगे हैं। ये उम्मीदवारों का इलेक्शन वाररूम है, जहां से चुनावी रणनीति तय होगी। कई दावेदारों ने ऐसे वाररूम बना लिए हैं। वहीं कई क्षेत्रों में प्राइम लोकेशन की तलाश हो रही है। कम वक्त के लिए दुकानों-मकानों की तलाश तेजी से हो रही है। इधर मकान मालिक भी उम्मीदवारों से एडवांस किराए के तौर पर मोटी रकम की डिमांड कर रहे हैं।
लोकेशन अच्छी, तो किराया भी दोगुना –
हर विधानसभा क्षेत्र में उम्मीदवारों ने दफ्तर खोल लिया है। नाम दिया पार्टी का जन सहायता केन्द्र। वैसे तो क्षेत्र में विधायकों के पहले से ही दफ्तर चल रहे हैं, लेकिन नए दावेदारों को टिकट बदलने की उम्मीद है। लिहाजा अपना वजूद मजबूती से पेश करने के लिए बाकायदा दफ्तर बनाकर समर्थकों की भीड़ जमाई जा रही है।
भीड़ दिखाकर टिकट की दावेदारी –
प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस दोनों में उम्मीदवार का चयन सर्वे की लोकप्रियता के आधार पर होगा। ऐसे में हर नेता मीडिया, क्षेत्र में अपनी पहचान कायम करने क प्रयास कर रहा है। जनता के बीच घूमते वक्त ज्यादा संख्या में समर्थकों की भीड़ जुटाने का प्रयास हो रहा है, ताकि जन समर्थन दिखाई दे। सर्वे के वक्त ये फॉर्मूला उन्हें टिकट के करीब पहुंचाने में मदद पहुंचा सकता है।
हर क्षेत्र में कई दावेदार –
भाजपा-कांग्रेस दोनों ही दलों के भीतर हर विधानसभा में दावेदारों की कतार लगी है। कांग्रेस में जिन विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा के विधायक हैं, वहां उम्मीदवारी के लिए खुले तौर पर दावेदार खुद की उम्मीदवारी साबित करने में जुटे हैं। इसमें उत्तर मध्य, बरगी, पूर्व, कैंट, सिहोरा और पनागर विधानसभा हैं। वहीं भाजपा के भीतर जिन विधानसभा में कांग्रेस के विधायक हैं, वहां कई उम्मीदवार हैं। इसमें पश्चिम और पाटन में खुलेआम कार्यकर्ता दावेदारी कर रहे हैं। लोगों के बीच लगातार समस्याओं को लेकर आंदोलन, प्रदर्शन किया जा रहा है। इसमें बरगी विस में कांग्रेस के दावेदारों ने खुलेआम आंदोलन और प्रदर्शन के जरिए अपना दावा करना शुरू कर दिया है।
दफ्तर वहां जहां जनता की नजर पड़े –
जनसहायता केन्द्र खोलने के लिए उम्मीदवार ऐसी लोकेशन को प्राथमिकता दे रहे हैं जहां क्षेत्र की जनता को आसानी से कवर किया जा सके। जनता की नजर में दफ्तर रहे, ताकि वो संपर्क में बने रहें। हर क्षेत्र में ऐसी दो-तीन जगह बुक की जा रही हैं, अच्छी लोकेशन के लिए एडवांस राशि जमा की जा रही है।