भय्यू महाराज (उदयसिंह देशमुख) आत्महत्या केस में नई जानकारी सामने आई है। जो सेवादार, कंस्ट्रक्शन व्यवसायी महाराज को बार-बार कॉल कर रहे थे उनकी भूमिका संदिग्ध है। कुछ पर जमीन और स्टांप हेराफेरी का शक है, जिसकी डीजीपी द्वारा गोपनीय जांच करवाई जा रही है।
50 वर्षीय भय्यू महाराज की आत्महत्या के पीछे पुलिस ने भले ही पारिवारिक कलह बताई हो लेकिन पर्दे के पीछे कुछ और ही कथा छुपी हुई है। जानकार बताते हैं कि भय्यू महाराज के कुछ करीबी रियल इस्टेट और जमीनों की खरीद-फरोख्त करने लगे थे। वे उनसे जुड़े बड़े कारोबारियों को भी विवादित जमीनों को सस्ती बताकर सौदा करवा देते थे। कुछ समय पूर्व उनके कहने पर मुंबई की चिटफंड कारोबारी (महिला) ने भी बैतूल में करोड़ों रुपए कीमती जमीन खरीदी थी।
बताते हैं कि सौदे में कंस्ट्रक्शन व्यवसायी मनमीतसिंह अरोरा (सिल्वर स्प्रिंग), सेवादार अमोल चौहान (पुणे) आदि की अहम भूमिका रही है। महिला का आरोप है कि इस जमीन की रजिस्ट्री में स्टांप की हेराफेरी की गई। जैसे ही महिला कारोबारी को इसका पता चला उसने कर्मचारी विलास आर. रासम निवासी कल्पना हनुमान मंदिर के पास सोपरा गांव ठाणे (महाराष्ट्र) के जरिए सभी के खिलाफ डीपीजी ऋषिकुमार शुक्ला को शिकायत करवा दी।
शिकायत में कहा गया कि घोटाले में संगठित गिरोह का हाथ है। मामला हाईप्रोफाइल होने पर डीजीपी ने टीम गठित की और शिकायत (167/17) पंजीबद्ध कर ली। घोटाले की जांच सीबीआई से लौटे निरीक्षक को सौंपी गई। निरीक्षक ने शिकायतकर्ता और आरोपितों को नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए तलब किया। बताया यह भी जाता है कि उक्त महिला कारोबारी के करोड़ों रुपए विदेश में फंसे हुए थे। भय्यू महाराज ने यह राशि वसूलने के लिए भी महिला की मदद की थी।
मनमीत अरोरा और अमोल से हो रही थी लंबी बातचीत –
पुलिस ने पहले परिवार के सदस्यों और कुछ सेवादारों के बयान लेकर मामले से पल्ला झाड़ लिया था। नईदुनिया ने संदेहियों की कॉल डिटेल और उनके बीच हुई बातचीत का खुलासा किया और बताया कि मनमीत अरोरा व अमोल चौहान घटना के दो दिन पूर्व से लगातार कॉल कर रहे थे। भय्यू महाराज इनसे हुई बातचीत के बाद तनाव में आ जाते थे। वह कभी वॉशरूम तो कभी बंद कार में बात करते थे। सीएसपी ने प्रमुख संदेही मनमीत अरोरा, अमोल चौहान से पूछताछ की। सीएसपी के मुताबिक जमीनों में हुए निवेश की जानकारी मिली है। संदेहियों से दोबारा पूछताछ कर ली जाएगी।
कभी नहीं किए व्यावसायिक सौदे –
राजा बड़जात्या के मुताबिक उनका मुख्य काम वकालत है। उनकी सूर्योदय (आश्रम) और महाराज के प्रति आस्था है। उन्होंने महाराज से कभी व्यावसायिक सौदे नहीं किए। जो जानकारी पता थी वह पुलिस को बता दी। पुलिस जांच पर विश्वास है।
सेवादारों ने छुपा लिया महा’राज –
पुलिस ने भी मान लिया पुलिस ने राजा बड़जात्या, अमोल चौहान और मनमीत अरोरा से पूछताछ की तो उन्होंने कुहू (बेटी) और डॉ. आयुषी (पत्नी) के बीच चल रही लड़ाई ही मुख्य वजह बताई और जमीनों में किए निवेश व मुंबई की महिला कारोबारी के संपर्क सूत्रों को छुपा लिया। जांच अधिकारी सीएसपी मनोज रत्नाकर ने फौरी तौर पर बयान लिए। भय्यू महाराज की सास रानी शर्मा के मुताबिक पारिवारिक झगड़ा तो सेवादार और पुलिस की उपज है। भय्यू महाराज का डॉ. आयुषी से बेहद लगाव था। वह उसके कारण आत्महत्या नहीं कर सकते। कुछ वजह है जो उनसे भी छुपाई जा रही है। रानी ने मामले की जांच कर संदेहियों पर कार्रवाई की मांग की है।