एक सवाल के जवाब में सरदाना ने बताया कि डायरेक्ट सेलिंग (बिक्री) को रेगुलेशन की जरूरत है, जो पुख्ता कानून से संभव है। कानून बनाने से इस क्षेत्र में लोगों का भरोसा बढ़ेगा। कानून बनाने से डायरेक्ट सेलिंग यानी उत्पादक कंपनियों और उपभोक्ता के बीच सीधी खरीद-बिक्री को नियमों के दायरे में लाना संभव हो सकेगा।

उद्योग जगत ने बनाया दबाव, डायरेक्ट सेलिंग कानून की बढ़ी मांग

डायरेक्ट सेलिंग कानून पर अमल को लेकर उद्योग जगत ने सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। उद्योग जगत ने उपभोक्ता मामले मंत्रालय से राज्यों में इसे लागू कराने का आग्रह किया है। उद्योग संगठन एसोचैम का दावा है कि केंद्र के दिशानिर्देश लागू हो जाने से देश में कम से कम एक करोड़ रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।एक सवाल के जवाब में सरदाना ने बताया कि डायरेक्ट सेलिंग (बिक्री) को रेगुलेशन की जरूरत है, जो पुख्ता कानून से संभव है। कानून बनाने से इस क्षेत्र में लोगों का भरोसा बढ़ेगा। कानून बनाने से डायरेक्ट सेलिंग यानी उत्पादक कंपनियों और उपभोक्ता के बीच सीधी खरीद-बिक्री को नियमों के दायरे में लाना संभव हो सकेगा।

डायरेक्ट सेलिंग के दिशानिर्देश की अधिसूचना 2016 में ही जारी कर दी गई थी। फिलहाल इसे केरल, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और तमिलनाडु में अलग-अलग स्तरों पर लागू किया जा सका है। बाकी राज्यों में यह ठंडे बस्ते में पड़ा है। एसोचैम में डायरेक्ट सेलिंग टास्क फोर्स के चेयरमैन विजय सरदाना ने केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्री रामविलास पासवान से इसे तत्काल प्रभाव से राज्यों में लागू कराने का अनुरोध किया है, ताकि इस कारोबार को लेकर लोगों में फैले भ्रम को दूर किया जा सके।

उद्योग संगठन की ओर से मंत्रालय को इस बारे में विस्तार से पत्र भी लिखा जा चुका है। उन्होंने बताया कि उत्तरी राज्यों में केवल हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में कुछ हद तक कार्य हो रहा है। लेकिन बड़े राज्यों में सफलतापूर्वक लागू किए बगैर इसका फायदा लोगों तक नहीं पहुंच सकेगा। दुनिया के ज्यादातर देशों में इस तरह का कारोबार हो रहा है। थाइलैंड और मलेशिया जैसे देशों में यह लागू है। इस पर अमल से रोजगार के मोर्चे पर बड़ी सफलता मिल सकती है। महिलाओं और युवाओं के लिए रोजगार के वैकल्पिक साधन उपलब्ध हो जाएंगे।

एक सवाल के जवाब में सरदाना ने बताया कि डायरेक्ट सेलिंग (बिक्री) को रेगुलेशन की जरूरत है, जो पुख्ता कानून से संभव है। कानून बनाने से इस क्षेत्र में लोगों का भरोसा बढ़ेगा। कानून बनाने से डायरेक्ट सेलिंग यानी उत्पादक कंपनियों और उपभोक्ता के बीच सीधी खरीद-बिक्री को नियमों के दायरे में लाना संभव हो सकेगा।

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