दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार जिस दिन से बनी है उस दिन से आज तक कुछ नहीं बदला है। पहले भी आप की अनशन और विरोध की राजनीति होती थी और आज भी यही सिलसिला बादस्तूर जारी है। आलम ये है कि तीन वर्ष पहले मई में जिस नाम को लेकर केजरीवाल सरकार ने विरोध और धरना शुरू किया था अब वही नाम दोबारा सामने आ गया है। ये नाम किसी और का नहीं बल्कि अनिंदो मजूमदार का है। वरिष्ठ आइएएस अधिकारी अनिंदो मजूमदार को तुरंत प्रभाव से दिल्ली ट्रांसफर कर दिया गया है। वह फिलहाल अंडमान निकोबार में नियुक्त थे। हालांकि अभी तक उन्हें मिलने वाले किसी पद की जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन माना जा रहा है कि उन्हें अंशु प्रकाश की जगह चीफ सेक्रेटरी बनाया जा सकता है। लेकिन यहां पर आपको ये भी बताना जरूरी होगा कि मजूमदार को लेकर दिल्ली सरकार का छत्तीस का आंकड़ा है।मजूमदार को लेकर मई 2015 में केजरीवाल सरकार का विरोध चरम पर था। उस वक्त सरकार और मजूमदार के बीच तल्खी इस कदर बढ़ गई थी कि केजरीवाल सरकार ने उस वक्त प्रिंसिपल सेक्रेटरी [सर्विस] रहे मजूमदार के ऑफिस पर ताला लगवा दिया था। 
क्या बनी थी मजूमदार से तनातनी की वजह
दरअसल उस वक्त मजूमदार को लेकर चली तनातनी की वजह बनी थी उनकी जगह राजेंद्र कुमार की नियुक्ति। राजेंद्र कुमार को दिल्ली सरकार ने अनिंदो मजूमदार की जगह प्रिंसिपल सेक्रेटरी (सर्विस) बनाया था। सीएम केजरीवाल की इस नियुक्ति को उस वक्त के तत्कालीन एलजी नजीब जंग ने रद कर दिया था। लेफ्टिनेंट गवर्नर के ऑफिस की ओर से मुख्यमंत्री को भेजी गई चिट्ठी में कहा गया था कि राजेंद्र कुमार की नियुक्ति असंवैधानिक है और उन्हें पद से हटाया जा रहा है। केजरीवाल सरकार ने एलजी की आपत्ति के बावजूद को राजेद्र कुमार को प्रिंसिपल सेक्रेटरी (सर्विस) के पद पर नियुक्त किया था और दिल्ली सचिवालय की सातवीं मंजिल पर स्थित मजूमदार के कार्यालय में ताला लगवा दिया था।
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