सरकारी हॉस्पिटल में मरीजों को मुफ्त उपचार और सुविधाएं दी जा रही है। गरीब परिवार को कई बीमारियों की जांच सहित दवाएं का कोई फीस नहीं लिया जाता। लेकिन जिला हॉस्पिटल से लेकर सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों मंे जीवन दीप समिति के नाम पर लूटा जा रहा है।
सामान्य जांच के लिए भी फीस वसूली जाती है। ताजा मामला गीदम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का है, जहां बिना जांच के ही गर्भवती महिलाओं से पैसे वसूले जा रहे हैं। शनिवार को एक जागरूक गर्भवती महिला जांच के लिए पहुंची। डॉक्टर ने स्वास्थ्य परीक्षण के बाद बीपी सहित अन्य जांच की सलाह दी।
उधर जांच के लिए पहुंची महिला से स्मार्ट कार्ड के साथ 100 रुपए मांगे गए और स्मार्ट कार्ड से 1800 रुपए काटकर रसीद थमा दी गई। जबकि महिला का कोई जांच नहीं हुआ। मरीज रागिनी गुप्ता के पति अंकित गुप्ता के मुताबिक हॉस्पिटल में पूरी जांच सुविधा मौजूद नहीं है।
ऐसे में रुपए काटने पर शक हुआ और बीएमओ से इसकी शिकायत की गई तो उन्होंने सरकारी नियम का हवाला दिया। जबकि मेरी पत्नी रागिनी का आज जांच के लिए कोई ब्लड सैंपल भी नहीं लिया गया। इधर इस संबंध में सीएचएमओ डॉ. एचएल ठाकुर ने कहा कि ऐसी जानकारी उनके पास पहुंची है। मामला गंभीर है, इसकी जांच कराई जाएगी और संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
रसीद में डॉक्टरी फीस भी शामिल
हॉस्पिटल से मिले 1800 रुपए की रसीद में महिला का सोनोग्राफी, टीएसएच, सीबीसी सहित डॉक्टर की फीस का भी उल्लेख है। जबकि जांच करने वाला डॉक्टर और जांच स्थल सरकारी हॉस्पिटल है। इस तरह गरीब मरीजों से सरकारी योजनाओं के बावजूद लूटा जा रहा है। निरक्षर आदिवासी मरीज और परिजन के स्मार्ट कार्ड से मनमानी लूट की जा रही है। कोई कभी पूछने की हिम्मत करता है तो कर्मचारी सरकारी नियम और पैकेज का हवाला देकर उसे चलता कर देते हैं।