आतंकवाद को पालने-पोसने वाला पाकिस्तान आज अपने ही लोगों को निशाना बना रहा है। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के निर्वासित नेता शौकत अली कश्मीरी ने पाकिस्तान के अंदरूनी हालात को लेकर पाक सेना का एक बार फिर से घेराव किया है। मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर पश्तूनों के आंदोलन के बीच शौकल अली ने कहा कि पाकिस्तान की सेना आज अपने ही लोगों को मार रही है। युद्ध के लिए उनके पास निजी रक्षक योद्धा भी हैं। लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल जैसे आतंकी संगठन पाकिस्तानी सैन्य जनरलों के प्रॉक्सी (प्रतिनिध) हैं।
ये कोई पहला मौका नहीं है जब शौकत अली ने आंतकवाद को लेकर पाकिस्तान और वहां की आर्मी की हकीकत का खुलासा किया है। इससे पहले भी वे मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर अलग-अलग मंच पर पाकिस्तान के खिलाफ आवाज बुलंद करते रहे हैं। पीओके के बाद अब पश्तून भी पाकिस्तानी सेना के उत्पीड़न का शिकार हो रहे हैं। शौकत अली हमेशा से कहते आए हैं कि पीओके का इस्तेमाल आतंकियों को लॉन्च करने के लिए किया जाता है। यहां लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी खुलेआम घूमते हैं। जाहिर है कि पीओके से भी अक्सर पाकिस्तान सेना और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन होते रहते हैं।
सेना के खिलाफ सड़क पर पश्तून
सरकार और सेना के खिलाफ पश्तूनों के आंदोलन के बीच पाकिस्तानी मानवाधिकार समूह ने देश की सेना पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया है। इसके मुताबिक, अफगानिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में सेना इस्लामी आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई में अल्पसंख्यक पख्तूनों के मानवाधिकारों का हनन कर रही है। इसी के खिलाफ हजारों पख्तूनों ने हाल में एक विरोध रैली भी की थी। आरोप है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के नाम पर सेना ताकत का गलत इस्तेमाल कर रही है। पख्तूनों के प्रभुत्व वाले इलाकों में सेना तालिबानी आतंकियों की तलाश के लिए धावा बोलती है और संदिग्ध आतंकियों के परिवारों के घर बुलडोजर से ढहा देती है और उन्हें सामूहिक रूप से दंडित करती है।
पाकिस्तान में क्यों बढ़ रहा है पश्तूनों का गुस्सा
तेजी से बढ़ रहे पख्तून प्रोटेक्शन मूवमेंट (पीटीएम) ने इन दिनों पाकिस्तानी सेना की नाक में दम किया हुआ है। पीटीएम पिछले तीन महीनों से सुरक्षा बलों की पख्तूनों पर कार्रवाई के खिलाफ देशव्यापी अभियान चला रहा है। पाकिस्तान में रहने वाले पश्तूनों का गुस्सा पाकिस्तानी सरकार के साथ वहां की सेना के खिलाफ है। उनका कहना है कि पिछले कुछ बरसों में सेना की कार्रवाई में हजारों पश्तून लापता हो चुके हैं, हजारों को बिना कोई मुकदमा चलाए मारा जा चुका है। ये गुस्सा आज नहीं वर्षों पुराना है, जो आज फूटा है। उसी का परिणाम है पिछले तीन महीनों में पाकिस्तान में समय- समय पर होने वाले पश्तून प्रदर्शन और रैलियों ने सरकार और सेना की नाक में दम कर रखा है।