अन्य राजनीतिक दलों से अलग अपनी पहचान बनाने का सपना पूरा करने के लिए जदयू सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दों को लेकर जागरूकता अभियान चलाएगा। पार्टी की महिला कार्यकर्ता यह अभियान चलाएंगी जिसका शुभारंभ विधान परिषद चुनाव बाद चंपारण से होगा। पार्टी ने समाज सुधार वाहिनी का गठन किया है, जिसमें जदयू के सभी संगठनों एवं प्रकोष्ठों की महिला नेत्रियां शामिल हैं।
पार्टी के प्रधान राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी की मानें तो वर्तमान में राजनीतिक नेतृत्व, चाहे वह किसी दल का हो, केवल पालिटिकल माइलेज की चिंता करता है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने सामाजिक मुद्दों पर फोकस किया है। यह मुहिम राजनीतिक लाभ के लिए नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना जगाने के लिए है। इस मुहिम का किसी वर्ग या समुदाय विशेष पर नहीं बल्कि पूरे समाज पर ‘मैगनिफाइंग इफेक्ट'(व्यापक असर) पड़ेगा।
पिछले वर्ष दिसंबर से जदयू ने अपने कार्यकर्ताओं को विभिन्न मुद्दों पर प्रशिक्षण देना आरंभ किया है। उद्देश्य यह है कि पार्टी के कार्यकर्ता, आम राजनीतिक कार्यकर्ता से अलग दिखें। पार्टी नेतृत्व की मंशा है कि लोग जदयू कार्यकर्ताओं को देखते ही समझ जाएं कि उनका ताल्लुक किस दल से है।
अलग पहचान बनाने के लिए पार्टी दो स्तरीय रणनीति पर काम कर रही है। पहला तो कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित कर उन्हें हर आवश्यक जानकारी से लैस करना और दूसरा सामाजिक सुधार से जुड़े मुद्दों पर फोकस करना। नवगठित समाज सुधार वाहिनी की अध्यक्ष पूर्व मंत्री रंजू गीता ने कहा कि जदयू देश की अकेली ऐसी पार्टी है जो केवल राजनीतिक नहीं, सामाजिक मुद्दों को भी उठा रही है।
दहेज प्रथा उन्मूलन, बाल विवाह पर रोक, भ्रूण हत्या की रोकथाम जैसे विषयों को लेकर यह अभियान चंपारण से अगले माह आरंभ होगा। मैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस मुहिम को हरी झंडी दिखाने का आग्रह करूंगी। हर जिले में वाहिनी के प्रमुख सदस्यों लेकर मैं खुद जाऊंगी, और जिला स्तर पर टीम गठित की जाएगी जो गांव-गांव जाकर जागरूकता अभियान चलाएगी।