एक प्रेस कांफ्रेंस में राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित के महिला पत्रकार के गाल थपथपाने के बाद इस मुद्दे के तूल पकड़ने पर उन्होंने माफी मांग ली है. मंगलवार शाम की इस घटना के बाद तमिलनाडु के पत्रकारों ने रोष व्यक्त किया था और उनसे माफी मांगने के लिए कहा था. इस आशय का एक पत्र मंगलवार देर रात पत्रकारों की तरफ से राज्यपाल को लिखा गया था. उसका जवाब देते हुए गवर्नर बनवारीलाल ने महिला पत्रकार को संबोधित अपने जवाब में लिखा, ”मुझे 18 अप्रैल को आपका ई-मेल मिला. जब वह प्रेस कांफ्रेंस खत्म हो रही थी तो आपने एक सवाल पूछा था. मुझे आपका सवाल अच्छा लगा. इसलिए आपका उत्साह बढ़ाने के लिए अपनी पोती समझकर स्नेहवश आपके गाल को थपथपाया. आपके पत्रकारीय कर्म की सराहना के लिए ऐसा महज स्नेहवश किया गया क्योंकि मैं भी इस पेशे से 40 साल तक जुड़ा रहा हूं. आपके मेल से मुझे पता चला कि इससे आहत हुईं. मैं आपकी भावना को समझ सकता हूं और इसलिए मैं उस घटना पर खेद प्रकट करते हुए माफी मांगता हूं…”दरअसल इस वाकये के बाद संबंधित महिला पत्रकार ने ट्वीट करते हुए कहा था, ”जब राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित की प्रेस कांफ्रेंस खत्म होने वाली थी तो मैंने उनसे एक सवाल पूछा…उन्होंने जवाब में बिना मेरी सहमति के मेरे गाल को थपथपाया.” इस पर तमिलनाडु के पत्रकारों ने मंगलवार देर रात राज्यपाल का पत्र लिखकर उनसे बिना शर्त माफी मांगने को कहा है.
DMK ने ‘अशोभनीय’ कृत्य करार दिया
तमिलनाडु में विपक्षी द्रमुक(डीएमके) ने घटना को संवैधानिक पद पर बैठे एक व्यक्ति का ‘अशोभनीय’ कृत्य करार दिया था. यह घटना उस समय हुई जब 78 वर्षीय राज्यपाल राजभवन में भीड़-भाड़ वाले प्रेस कांफ्रेंस स्थल से जा रहे थे. द्रमुक की राज्यसभा सदस्य कनिमोई ने ट्वीट किया, ”अगर संदेह नहीं भी किया जाए तब भी सार्वजनिक पद पर बैठे एक व्यक्ति को इसकी मर्यादा समझनी चाहिए और एक महिला पत्रकार के निजी अंग को छूकर गरिमा का परिचय नहीं दिया या किसी भी इंसान द्वारा दिखाया जाने वाला सम्मान नहीं दर्शाया.” द्रमुक के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन ने अपने ट्विटर हैंडल से कहा, ”यह ना केवल दुर्भाग्यपूर्ण है बल्कि एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति का अनुपयुक्त कृत्य है.”
महिला प्रोफेसर पर आरोप
यह वाकया ऐसे वक्त हुआ जब राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित एक कॉलेज की महिला व्याख्याता के सेक्स स्कैंडल केस में हुई गिरफ्तारी के बाद प्रेस कांफ्रेंस कर रहे थे. उन्होंने कहा कि इस मामले में कड़ी कार्रवाई की जाएगी और दोषियों को दंडित किया जाएगा. वह व्याख्याता विश्वविद्यालय के आला अधिकारियों की यौन तुष्टि करने के लिये कथित तौर पर छात्राओं को प्रलोभन देती थी.
उन्होंने कहा, ”मामला बेहद गंभीर है– ऐसा नहीं होना चाहिये था और दोषियों को दंडित किया जाएगा.” इससे पहले मदुरै की एक अदालत ने मंगलवार को व्याख्याता को 12 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया. उसे बाद में शहर के केंद्रीय कारागार में ले जाया गया. राज्यपाल ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मामले की जांच के लिये सेवानिवृत्त नौकरशाह आर संथानम के नेतृत्व में एक सदस्यीय समिति का गठन किया गया है. इससे पहले, दिन में मामले की जांच तमिलनाडु पुलिस की अपराध शाखा को सौंपी गई.
ऑडियो क्लिप वायरल
सहायक प्रोफेसर निर्मला देवी को सोमवार को कॉलेज और एक महिला फोरम की शिकायत के बाद गिरफ्तार किया गया था. निर्मला देवी और छात्राओं के बीच कथित बातचीत का ऑडियो क्लिप रविवार को सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद यह शिकायत दर्ज कराई गई थी.विरुधुनगर जिले में अरूपुकोट्टई में देवांगा आर्ट्स कॉलेज में काम करने वाली देवी को पहले ही निलंबित किया जा चुका है. ऑडियो में देवी को यह कहते सुना जा रहा है कि 85 फीसदी अंक और धन पाने के लिये छात्राएं अधिकारियों के साथ सामंजस्य बिठा लें. इसे यौन तुष्टि के सुझावों के तौर पर देखा जा रहा है.
हालांकि, देवी ने अपनी सलाह में यौन पहलू से इंकार किया है और दावा किया है उन्होंने सही भावना से ऐसा किया और इसके पीछे कोई छिपी हुई मंशा या एजेंडा नहीं था. मामले की सीबीआई से जांच कराने की विपक्ष की मांग पर पुरोहित ने कहा कि मामला केंद्रीय एजेंसी को भेजने के बारे में विचार एक सदस्यीय समिति की रिपोर्ट के आधार पर किया जाएगा. उन्होंने कहा कि समिति की रिपोर्ट को मीडिया के जरिये सार्वजनिक किया जाएगा और सुरक्षा उपायों के लिये तंत्र बनाने के लिये कदम उठाए जा रहे हैं.
महिला व्याख्याता के ऑडियो में राज्यपाल को जानने और हालिया दीक्षांत समारोह में उन तक पहुंच होने का दावा करने के बारे में पूछे जाने पर पुरोहित ने कहा कि उन्होंने इस तरह के कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया है. उन्होंने कहा, ”अगर कोई यहां-वहां आ जा रहा है तो मैं कैसे किसी को जानता हूं. मैं महिला को नहीं जानता हूं.” उन्होंने कहा कि टेप में उनका उल्लेख सिर्फ ग्रैंडफादर के तौर पर हुआ है. पुरोहित ने कहा कि उन्होंने उसे नहीं देखा है और पूरे समय उनकी समूची टीम ने उन्हें घेर रखा था. बिना अनुमति के कोई परिंदा भी उन तक नहीं पहुंच सकता था.