आज इस शुभ संयोग में है सोमवती अमावस्या, जानिए महत्व, पूजन विधि और मुहूर्त

आज इस शुभ संयोग में है सोमवती अमावस्या, जानिए महत्व, पूजन विधि और मुहूर्त

हिंदू धर्म में सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व है। इस दिन गंगा स्नान और दान आदि करने का विधान है। इस बार यह अमावस्या 16 अप्रैल, सोमवार को है। ऐसा संयोग बहुत कम ही होता है जब अमावस्या सोमवार के दिन हो। इस बार 15 अप्रैल को सुबह 8:37 बजे से 16 अप्रैल को 07:27 बजे तक अमावस्या है। सोमवार भगवान शिव जी का दिन माना जाता है और सोमवती अमावस्या तो पूर्णरूपेण शिव जी को समर्पित होती है। सोमवती अमावस्या के दिन आप अपने इष्ट देव और पितरों का आशीर्वाद लें। ऐसा करने से हमेशा आपके घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। आज इस शुभ संयोग में है सोमवती अमावस्या, जानिए महत्व, पूजन विधि और मुहूर्त
पति की लंबी उम्र के लिए स्त्रियां रखती हैं व्रत 
मान्यता है कि इस दिन मौन व्रत रहने से सहस्त्र गोदान का फल प्राप्त होता है। विवाहित स्त्रियां इस दिन अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत भी रखती हैं। इस दिन विवाहित स्त्रियां पीपल के वृक्ष को शिवजी का वास मानकर दूध, जल, फूल, अक्षत, चन्दन से पूजा करती हैं और चारो ओर 108 बार धागा लपेटकर परिक्रमा करती हैं। 

कुंडली में कमजोर है चंद्रमा करें यह उपाय 
सोमवती अमावस्या पर पितरों के लिए तर्पण और कर्मकांड के साथ ही स्नान और यज्ञ का भी विशेष महत्व है। मान्यता है कि पितरों को जल देने से उन्हें तृप्ति मिलती है। जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा कमजोर है, ऐसे जातक सोमवती अमावस्या के दिन गाय को दही और चावल खिलाएं तो उन्हें मानसिक शांति प्राप्त होगी। अलावा मंत्र जाप, सिद्धि साधना और दान कर मौन व्रत को धारण करने से पुण्य प्राप्ति और भगवान का आशीर्वाद मिलता है। 

इस मंत्र का करें जप 
इस मंत्र का करें जाप अमावस्या के दिन इस मंत्र के जप से विशेष उपलब्धि प्राप्त होगी। साथ ही स्नान दान का पूरा पुण्य भी मिलेगा। 
अयोध्या, मथुरा, माया, काशी कांचीअवन्तिकापुरी, द्वारवती ज्ञेया: सप्तैता मोक्ष दायिका।। गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती, नर्मदा सिंधु कावेरी जलेस्मिनेसंनिधि कुरू।। 

भीष्म ने भी बताया था इस दिन का महत्व 
महाभारत में भीष्म पितामह ने पांडव पुत्र युधिष्ठिर को इस दिन का महत्व समझाया था। उन्होंने कहा था कि, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने वाला मनुष्य समृद्ध, स्वस्थ्य और सभी दुखों से मुक्त होगा। अमावस्या के दिन जो वृक्ष, लता आदि को काटता है और पत्तों को तोड़ता है उसे ब्रह्महत्या का पाप लगता है। इसका उल्लेख विष्णु पुराण में भी किया गया है। ऐसा भी माना जाता है कि स्नान करने से पितरों कि आत्माओं को शांति मिलती है। 

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