इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने शुक्रवार (13 अप्रैल) को अपने आदेश में कहा कि उन्नाव गैंगरेप और पीड़िता के पिता की हत्या का केस CBI को सौंपा जाए. इसके साथ ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2 मई को सीबीआई से प्रोग्रेस रिपोर्ट भी मांगी है. नाबालिग के साथ बलात्कार और बाद में पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत की अदालत की निगरानी में जांच कराए जाने की मांग करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल स्वरूप चतुर्वेदी के पत्र को याचिका मानकर सुनवाई कर रही मुख्य न्यायाधीश डी बी भोंसले और न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की पीठ ने यह आदेश सुनाया. कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपी भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को सिर्फ हिरासत में ना लिया जाए, बल्कि उनकी गिरफ्तारी भी होनी चाहिए.
इससे पहले उन्नाव में नाबालिग लड़की से सामूहिक बलात्कार के मामले में लोगों में बढ़ते रोष के बीच इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गुरुवार (12 अप्रैल) को प्राथमिकी दर्ज होने के बावजूद आरोपी विधायक को गिरफ्तार नहीं करने के लिये राज्य सरकार को फटकार लगाई थी. अदालत ने चेतावनी दी थी कि वह अपने आदेश में राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति चरमरा जाने का उल्लेख करने पर मजबूर होगी. उत्तर प्रदेश पुलिस ने सत्तारूढ़ भाजपा के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर नाबालिग लड़की से उन्नाव में कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किये जाने के सिलसिले में 12 अप्रैल को मामला दर्ज कर लिया था. साथ ही राज्य सरकार ने मामले की जांच सीबीआई से कराने का फैसला किया है.
विधायक के खिलाफ यह मामला पीड़िता के अधिकारियों पर निष्क्रियता का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के आवास के बाहर आत्मदाह का प्रयास करने और उसके एक दिन बाद पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत होने के कुछ दिन बाद दर्ज किया गया है. इस बीच, राज्य के प्रमुख सचिव (गृह) अरविंद कुमार ने कोर्ट से कहा था कि आरोपी भाजपा विधायक सेंगर की गिरफ्तारी के बारे में फैसला सीबीआई जांच के बाद मामले के गुण दोष के आधार पर करेगी. उन्नाव पुलिस ने 12 अप्रैल की सुबह सेंगर के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं और पॉक्सो अधिनियम के तहत माखी थाने में प्राथमिकी दर्ज की.
कोर्ट ने लगाई थी सरकार को फटकार
मामले पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के जवाब से नाराज अदालत ने कहा, ‘‘पुलिस एक नाबालिग बलात्कार पीड़िता की तरफ से प्राथमिकी दर्ज करने को तैयार नहीं है. एसआईटी रिपोर्ट के बावजूद आप दोहरा रहे हैं कि हम आगे की जांच के बाद ही कोई कार्रवाई कर सकते हैं. अगर यह राज्य में पुलिस का आचरण है तो शिकायत दर्ज कराने के लिये पीड़िता किससे संपर्क करेगी. अगर यह रुख आप बार-बार अपना रहे हैं तो हम अपने आदेश में यह कहने को मजबूर होंगे कि राज्य में कानून व्यवस्था चरमरा गई है.’’
विधायक की गिरफ्तारी नहीं होने पर अदालत ने जताया था कड़ा ऐतराज
अदालत ने विधायक की अब तक गिरफ्तारी नहीं होने पर कड़ा एतराज जताया और राज्य सरकार से इस प्रकरण में अब तक की गई कार्रवाई के बारे में पूछा. राज्य सरकार की ओर से उपस्थित महाधिवक्ता ने बताया कि मामले में विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के भाई समेत तीन लोगों को अब तक गिरफ्तार किया गया है. इसपर अदालत ने महाधिवक्ता से पूछा कि क्या कुलदीप सिंह सेंगर को भी गिरफ्तार करने की आपकी योजना है. इसपर उन्होंने कहा कि इस बारे में वह कोई बयान देने की स्थिति में नहीं हैं और पुलिस शिकायतकर्ता और गवाहों का बयान दर्ज करने के बाद कानून के अनुसार कार्रवाई करेगी. सेंगर भी बलात्कार के मामले में आरोपी हैं.