नीरव मोदी स्कैम के खुलासे के बाद दलाल स्ट्रीट पर जूलरी स्टॉक्स की चमक फीकी पड़ी है। मार्केट ऐनालिस्टों का नजरिया इस सेक्टर को लेकर मंदी वाला है। हालांकि, विदेशी निवेशकों का भरोसा खासतौर पर एक जूलरी कंपनी पर बना हुआ है। यह कंपनी है दिल्ली की पीसी जूलर। मार्च तिमाही में इस कंपनी की मार्केट वैल्यू में एक तिहाई की गिरावट आने के बावजूद विदेशी निवेशकों की इसमें 31.22 हिस्सेदारी बनी हुई थी। यह इस कंपनी में फॉरेन इनवेस्टर्स की अब तक की सबसे बड़ी हिस्सेदारी है।
नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के 13,000 करोड़ रुपये के पीएनबी स्कैम की वजह से देश के जूलरी सेक्टर को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। बैंक इस क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों को कर्ज देने में काफी सावधानी बरत रहे हैं। हालांकि, ऐनालिस्टों की पीसी जूलर के बारे में बिल्कुल अलग राय है। यह कंपनी डायमंड में अंतरराष्ट्रीय ट्रेड नहीं करती है। वह कैश देकर लोकल मार्केट से हीरे खरीदती है।
पीसी जूलर का शेयर 2 फरवरी को 195.10 रुपये के 52 हफ्ते के लो लेवल पर पहुंचा था। उसके बाद से इसमें 57 पर्सेंट की रिकवरी हो चुकी है। इस बीच, पिछली एक तिमाही में गीतांजलि जेम्स के शेयर प्राइस में 92.52 पर्सेंट और टीबीजी के शेयर प्राइस में 28.23 पर्सेंट की गिरावट आई है। वहीं, पिछले तीन महीनों में टाटा ग्रुप की कंपनी टाइटन के शेयर प्राइस में 4 पर्सेंट की बढ़ोतरी हुई है। इस कंपनी में देश के जानेमाने निवेशक राकेश झुनझुनवाला और उनकी पत्नी की 8.45 पर्सेंट हिस्सेदारी है। 2 अप्रैल को टाइटन को निफ्टी 50 इंडेक्स में भी शामिल किया गया।