उत्तराखंड के गोमुख से निकलने वाली भागीरथी नदी के पतित पावनी गंगा के रूप में अवतरित होने की कथा तो सभी जानते हैं। लेकिन जहां गंगा का अवतरण हुआ है उस स्थान के बारे में एक रहस्य जानेंगे तो हैरान रह जाएंगे।यह स्थान है देवप्रयाग। चारधाम यात्रा मार्ग पर स्थित देवप्रयाग का पौराणिक महत्व है। भागीरथी और अलकनंदा के इस संगम स्थल का सबसे बड़ा धार्मिक महत्व यहां मां गंगा के अवतरण का है। इसलिए यह भगवान शिव का सबसे पंसदीदा स्थान माना जाता है।
माना जाता है कि देव शर्मा नामक एक ब्राहमण ने 11000 वर्षों तक यहां कठोर तप किया। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु प्रकट हुए।
उन्होंने देव शर्मा को आशीष दिया कि वह त्रेता युग में देवप्रयाग लौटेंगे। राम के अवतार में विष्णु देवप्रयाग आए। रावण के वध के पाप से मुक्ति पाने के लिए उन्हें यहां आना पड़ा। कहा तो यह भी जाता है कि भगवान राम ने देव शर्मा के नाम पर इस स्थान को देवप्रयाग नाम दिया।