उत्तराखंड में ग्लेशियरों के नीचे आबाद क्षेत्रों को झीलों का खतरा अधिक

उत्तराखंड में ग्लेशियरों के नीचे आबाद क्षेत्रों को झीलों का खतरा अधिक

उत्तराखंड में गढ़वाल ग्लेशियरों के नीचे वाले इलाकों में झील फटने से होने वाली तबाही का खतरा दूसरे क्षेत्रों से अधिक है।उत्तराखंड में ग्लेशियरों के नीचे आबाद क्षेत्रों को झीलों का खतरा अधिक

 हिमालयी क्षेत्र में गढ़वाल ग्लेशियरों पर जलवायु परिवर्तन का सबसे बुरा असर पड़ रहा है। इससे इनमें सबसे अधिक सुप्रा ग्लेशियर झीलें बन रही हैं। वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान के विज्ञानियों ने ग्लेशियर झीलों की जो इन्वेंटरी तैयार की है उसमें यह तथ्य उजागर हुआ है। उत्तराखंड के बाद अब विज्ञानियों ने हिमाचल प्रदेश की झीलों के मानचित्रण का कार्य पूरा किया है।

इसमें पाया गया कि हिमाचल में ग्लेशियरों की संख्या उत्तराखंड से दोगुना से अधिक है, लेकिन ग्लेशियर झीलों की संख्या उत्तराखंड में तीन गुना से भी ज्यादा है। 2013 में केदारनाथ प्राकृतिक आपदा की घटना के बाद यह जरूरत महसूस की गई कि ग्लेशियर क्षेत्रों की झीलों का मानचित्रण किया जाए। इससे झीलों के संबंध में वस्तुस्थिति का पता रहेगा और इसके साथ ही समय रहते उपाय किए जाएंगे। 

झील फटने के बाद आपदा की तबाही पर नियंत्रण करना मुश्किल हो जाता है। इस पर वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान के विज्ञानियों ने पहले चरण में उत्तराखंड की सभी झीलों का मानचित्रण तैयार किया। इसके बाद दूसरे चरण में हिमाचल प्रदेश के ग्लेशियर झीलों के मानचित्रण का कार्य पूरा किया गया है। इसे संस्थान के जर्नल हिमालयन जियोलोजी में प्रकाशित कर दिया गया। 

यह कार्य संस्थान के वरिष्ठ विज्ञानी डॉ. राकेश भांबरी, डॉ. अंशुमान मिश्र, डॉ. अमित कुमार, डॉ. अनिल के. गुप्ता, डॉ. अक्षय वर्मा और डॉ. समीर कुमार तिवारी ने किया है। उत्तराखंड में 21481 वर्ग किमी क्षेत्र में 1474 ग्लेशियरों में 1266 झीलें पाई गई हैं। इनमें ग्लेशियर बॉडी में बनने वाली झीलों सुप्रा ग्लेशियल की संख्या 809 है। लेकिन हिमाचल के 3199 वर्ग किमी क्षेत्र में 3273 ग्लेशियर है, लेकिन कुल झीलों की संख्या 958 है और सुप्रा ग्लेशियल झीलों की संख्या सिर्फ 228 है।

बताया गया कि गढ़वाल ग्लेशियर के निम्न अक्षांशों  पर होने की वजह से यहां सोलर रेडिएशन अधिक है। इसके साथ ही जलवायु परिवर्तन की वजह से यहां बर्फबारी के बजाए बारिश होती है। इससे ग्लेशियरों में गलन अधिक है। इस क्षेत्र में मानसून अधिक प्रभावित हुआ है। इससे आने वाले समय में यहां जलस्रोतों में दिक्कत आएगी।

 

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com