आज के समय बहुत कम महिलाएं चोटी बांधती है जबकि पुराने समय में महिलाओं के साथ पुरूष भी सिर चोटी यानी शिखा बांधते हैं.. दरअसल चोटी बांधना सिर्फ एक श्रंगार नहीं है बल्कि इससे बहुत से मानसिक और शारीरिक लाभ मिलते हैं। यही वजह है कि प्राचीन काल में महिलाओं के साथ पुरुषों चोटी यानी शिखा रखते थें .. विशेषकर ऋषि-मुनि या अन्य विद्वान पुरूष की पहचान ही उनकी शिखा हुआ करती थी। वैसे आजकल भी कुछ युवक-युवती भी चोटी बांधते हैं पर वो सिर्फ फैशन के लिए ऐसा करते हैं पर वास्तव में वे चोटी बांधने का लाभ नहीं जानते। आज हम आपको चोटी बांधने के धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व के बारे में बता रहे हैं।
दरअसल सनातन धर्म के हर कर्म काण्ड के पीछे कुछ वैज्ञानिक कारण होते हैं .. चोटी बांधने के पीछे भी धार्मिक महत्व के साथ वैज्ञानिक लाभ छिपा हुआ है .. सबस पहले बात करते हैं चोटी बांधने के धार्मिक महत्व के बारे में .. तो आपको बता दें शास्त्रों में चोटी यानी शिखा को विशेष महत्व दिया गया है शास्त्रों की माने तो जिस प्रकार अग्नि के बिना कोई हवन पूर्ण नहीं होता है, उसी तरह चोटी या शिखा के बिना कोई धार्मिक कार्य पूर्ण नहीं हो सकता है। सभी धार्मिक कर्मकाण्डों के लिए ये एक अनिवार्य मानी जाती है.. शास्त्रों में शिखा को ज्ञान और बुद्धि का प्रतीक माना गया है और कहते हैं इससे व्यक्ति की बुद्धि नियंत्रित होती है। ऐसे में पूजा करते वक्त मन की एकाग्रता बनी रहे, इसलिए भी चोटी रखी जाती है .. माना जाता है कि शिखा रखने से मनुष्य धार्मिक, सात्त्विक और संयमी बना रहता है। साथ ही कहा गया है कि जो मनुष्य शिखा रखता है देवता भी उसकी रक्षा करते हैं।
वहीं विज्ञान की दृष्टि से बात करें तो जिस स्थान पर चोटी बांधी जाती है, सिर का वो भाग बेहद संवेदनशील होता है। ऐसे में इस स्थान पर चोटी बाँधने पर मस्तिष्क और बुद्धि नियंत्रित रहती है। वैसे महिलाओं के चोटी बांधना अधिक हितकर माना गया है क्योंकि पुरुषों की तुलना में महिलाओं का मस्तिष्क अधिक संवेदनशील होता है। ऐसे में वातावरण की नकारात्मक ऊर्जा का असर महिलाओं के मन-मस्तिष्क पर पड़ता है। पर सिर पर चोटी होने से बाहरी नकारात्मक वातावरण से मस्तिष्क की रक्षा होती है।
दरअसल हमारे मस्तिष्क के दो भाग होते हैं.. इन दोनों भागों के संधि स्थान यानी दोनों भागों के जुड़ने की जगह बहुत संवेदनशील होती है। ऐसे में इस भाग को अधिक ठंड या गर्मी से सुरक्षित रखने के लिए भी चोटी बनाई जाती है। योग की दृष्टि से बात करें तो शरीर में पांच चक्र होते हैं, जिसमें से सहस्त्रार चक्र, सिर के बीच में होता है। ऐसे में उस जगह पर शिखा या चोटी बांधने से यह सहस्त्रार चक्र जाग्रत होता है, जिससे व्यक्ति का बुद्धि और मन भी दोनो ही नियंत्रित रहते हैं ।
इसके साथ ही सिर पर चोटी का दबाव होने से रक्त का प्रवाह सही रहता है, जिससे सीधा लाभ मस्तिष्क को प्राप्त होता है। शिखा रखने से आंखों की रोशनी तेज होती है और अधिक समय तक सुरक्षित रहती है … वहीं शिखा या चोटी रखने से व्यक्ति स्वस्थ, बलवान, तेजस्वी और दीर्घायु होता है।
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