रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव न करने की वजह से आम जनता को बैंकों से सस्ता कर्ज मिलने की उम्मीदों पर झटका लगा है। अभी भी रेपो रेट की दर 6 सालों में सबसे कम हैं। आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में बनी मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) ने दो दिन चली बैठक के बाद अपना निर्णय सुनाया। आरबीआई ने लगातार तीसरी बार रेपो रेट में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया है।
एचडीएफसी बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट अभीक बरूआ ने बात करते हुए कहा था कि आरबीआई आज की पॉलिसी में रेपो रेट में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं करेगा। हां यह हो सकता है कि वो सरकार की नीतियों की तीखी आलोचना करें। पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम, किसानों को फसल पर ज्यादा एमएसपी देना और बजट में राजकोषीय घाटे के बढ़ने की संभावना के चलते ऐसा हो सकता है।
बढ़ती महंगाई भी बनी बड़ी वजह
इस वक्त महंगाई दर में लगातार बढ़ोतरी बनी हुई है। खुदरा महंगाई दर इस वक्त 5 फीसदी के आंकड़े को पार कर के 5.21 फीसदी पर है, जोकि बहुत ही ज्यादा है। हालांकि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में भी इस पर चिंता जताई थी। हालांकि उन्होंने कहा था कि मौजूदा वित्त वर्ष की जुलाई सितंबर तिमाही में 6.3 फीसदी जीडीपी ग्रोथ संकेत दे रही है कि अर्थव्यवस्था मजबूती की राह पर है।
मानसून पर बहुत कुछ निर्भर
आरबीआई का मानना है कि आने वाला मानसून सामान्य रहेगा। इन फैक्टर्स को ध्यान में रखते हुए अनुमान है कि वित्त वर्ष 2018 19 की पहली छमाही में रिटेल महंगाई 5.1 फीसदी से 5.6 फीसदी रहेगी। वहीं दूसरी छमाही में खुदरा महंगाई 4.5 से 4.6 फीसदी की रेंज में रह सकती है। वहीं 2018-19 के लिए जीवीए ग्रोथ 7.2 फीसदी रहने की अनुमान आरबीआई की एमपीसी ने लगाया है।