विज्ञान और तकनीक क्षेत्र से जुड़ी प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने में जुटी सरकार ने ऐसे सभी स्टार्टअप्स को अब शुरुआती तौर पर ही एक करोड़ की मदद देने की पेशकश की है। हालांकि इसके लिए उन्हें पहले अपनी तकनीक का प्रदर्शन करना होगा। इसमें खरा उतरने के बाद ही उन्हें यह मदद दी जाएगी। उन्हें तुरंत बाद 10 लाख की मदद तुरंत दी जाएगी। बाकी राशि के लिए स्टार्टअप्स की पूरी योजना देनी होगी।
अधिकारियों के मुताबिक विज्ञान और तकनीक क्षेत्र के स्टार्टअप्स को सीधे तौर पर आर्थिक मदद देकर प्रोत्साहित करने की अपनी तरह की यह पहली योजना है। इसके अलावा इस क्षेत्र में और स्टार्टअप पैदा करने के लिए भी कई योजनाओं पर काम चल रहा है। इनमें से हाल ही में स्कूल-कालेजों से निकलने वाले छात्रों को स्टार्टअप्स बनाने की एक योजना शुरू की गई है। इसके तहत अगले पांच सालों में देश भर में इंक्यूबेटर्स की संख्या 200 करने का लक्ष्य रखा गया है।
मौजूदा समय में देश में 140 इंक्यूबेटर संचालित है। जहां विज्ञान और तकनीक में रुचि रखने वाला कोई भी अपने सपने को साकार कर सकता है। मौजूदा समय में दुनिया में सबसे ज्यादा 2400 इंक्यूबेटर चीन में हैं, दूसरे नंबर पर अमेरिका है, जहां इसकी संख्या करीब 1500 है। गौरतलब है कि स्टार्टअप्स की तकनीक को आंकने की जबावदेही मंत्रालय से जुड़ी संस्था वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) को दी गई है जो सरकारी फंड पर चलने वाले दुनिया के 1200 संस्थानों में नौवें स्थान पर है।