राजस्थान के पाली जिले में 90 फीट गहरे कुंए में एक मजदूर 13 दिन से दबा हुआ है। प्रशासन उन्हें नहीं निकाल पा रहा है और अब उसने हाथ खड़े कर दिए हैं। पुलिस ने तो मजदूर को मृत भी घोषित कर दिया है। लेकिन शव मिले बिना ही मजदूर को पुलिस ने कैसे मृत घोषित कर दिया?
इस सवाल पर पाली जिले के पुलिस अधीक्षक राहुल कातके कहते हैं, “बॉडी रिकवर नहीं हुई है। लेकिन, इतने दिनों से आदमी कुंए में दबा हुआ है तो डेथ हो ही गई होगी न, जिंदा थोड़े ही होंगे।”
27 सितंबर शाम के करीब 4 बजे थे। वह घंटे भर बाद काम खत्म कर घर लौटने ही वाले थे।
लेकिन, तेरह दिन बाद अब तक भी वह घर नहीं पहुंचे सके। उनके चार बच्चे और पत्नी का रो-रो कर बुरा हाल है।
पाली जिले की सुमेरपुर तहसील के कानपुरा गांव में एक कुएं पर खुदाई का काम चल रहा था। 27 सितंबर शाम करीब चार बजे अचानक कुंए का फर्मा टूटने से मिट्टी ढह गई।
कुंए में नीचे काम कर रहे शिवगंज तहसील के जोगपुरा के रहने वाले 45 साल के मजदूर मुपाराम मीणा मिट्टी में नीचे दब गए। उन्होंने करीब दो सप्ताह पहले ही उस कुंए में काम करना शुरू ही किया था।
मजदूर मुपाराम मीणा के भाई दूदा राम बीबीसी से कहते हैं, “कुएं में नीचे भाई और एक अन्य आदमी काम कर रहे थे। कुंए का फर्मा टूट गया जिसके साथ ही रेत और मलवा कुएं में ढह गया। जिसमें भाई कई फीट तक मलवे में दब गए। दूसरा आदमी बच निकला।”
घटना की सूचना मिलने के बाद परिजन पांच दिन तक कुंए के पास बैठ कर मुपाराम के निकलने का इंतजार करते रहे। उनको उम्मीद थी कि कोई चमत्कार होगा और मुपाराम सलामत निकल आएंगे।
लेकिन, 13 दिन तक प्रशासनिक प्रयासों से उदास परिजनों की उम्मीद भी टूट गई है। परिजन अब प्रशासन से उनके शव को निकालने की गुहार कर रहे हैं, जिससे उनके अंतिम दर्शन कर सम्मानजनक अंतिम संस्कार किया जा सके।
सुमेरपुर के सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) देवेंद्र कुमार ने बीबीसी को बताया कि, “यह 90 फीट का कुंआ है और नीचे 10 फीट मिट्टी के नीचे मुपाराम दबे हुए हैं।”
वह बताते हैं कि, बाकी कुंओं में पानी होता है जिसमें से किसी को निकालना आसान है। लेकिन इसमें नीचे 10 फीट मिट्टी है और उसके ऊपर करीब 30 फीट से मिट्टी गिर रही है। यह सबसे बड़ी चुनौती है।
कई प्रयासों से मुपाराम को निकालने के दौरान उनकी बॉडी को नुकसान हो सकता था। इसलिए कोशिशें रोक दी गईं। भीलवाड़ा से बुलाए गए एक्सपर्ट्स को भी नीचे उतारा गया। लेकिन कुंआ संकरा होने से उन्हें सांस लेने की समस्या होने लगी।
प्रशासन की मानें तो कुंए में नीचे उतर कर बचाव कार्य करने से बचाव दल की सुरक्षा को भी खतरा है। बचाव कार्य में लगे लोगों की जिंदगी बचाने की भी चुनौती है। कुंए में 60 फीट नीचे जहां मिट्टी गिर रही है, वहां टैंकर के बॉडी लगा कर मिट्टी रोकने के प्रयास भी असफल रहे हैं।
13 दिन तक मुपाराम को बाहर निकालने में सफलता नहीं मिली है। परिजन प्रशासन पर आरोप लगा रहे हैं, जबकि प्रशासन सभी स्तर पर प्रायस करने दावा कर रहा है।
मुपाराम के भाई दूदा राम प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहते हैं कि, “प्रशासन अभी तक उस मलवे में से एक कंकर तक नहीं निकाल सका है। न जाने प्रशासन पर क्या दबाव है कि अब प्रशासन ने हाथ खड़े कर दिए हैं।”
पाली के कलेक्टर अंशदीप ने बीबीसी से बातचीत में कहा, “हमने जोधपुर, पाली, भीलवाड़ा से एक्सपर्ट्स की टीम बुलाई। अनुभवी इंजीनियरिंग और मशीनरी का उपयोग कर दबे हुए शख्स को निकालने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।”
एसडीएम देवेंद्र कुमार कहते हैं कि, “पीडब्ल्यूडी, पीएचईडी, रेलवे के इंजीनियर्स, स्टेट डिजास्टर रिस्पोंस टीम समेत कई एक्सपर्ट्स को बुलाया गया।”
कुंए के नीचे के हालात जानने के लिए वीडियोग्राफी भी कराई गई। लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिली। एसडीआरएफ की टीम ने भी नीचे उतर कर प्रयास किया लेकिन कुंए की बनावट और नीचे मिट्टी के कारण प्रयास असफल रहे।
राजसमंद की गहरी खानों में काम करने वाले एक्सपर्ट्स से भी बात की गई, लेकिन समाधान नहीं निकला। जिला कलेक्टर अंशदीप का दावा है कि, “इस काम को करने के लिए कुछ एक्सपर्ट्स तैयार हो गए हैं। जल्द ही उनकी मदद से मुपाराम को निकालने का फिर से प्रयास किया जाएगा।”
मुपाराम को नहीं निकाल पाने का दर्द उनके पूरे परिवार की खामोशी से महसूस किया जा सकता है। उनकी पत्नी जमना देवी कई दिनों तक तो कुंए के पास बैठी रहीं। अब किसी भी आने जाने वाले से बात नहीं करती हैं, टकटकी लगाए अपने पति के इंतजार में बैठी हैं।
बुलवाने की कोशिश करने पर सिर्फ़ इतना कहती हैं कि मुझे भी कुंए में डाल दो।
मुपाराम के चार बेटे हैं, सबसे बड़ा बेटा विकलांग है और अन्य स्कूल में पढ़ते हैं। बच्चे भी ज्यादातर खामोश ही रहते हैं और बात की जाए तो रोने लगते हैं।
प्रशासन भले ही अपने स्तर पर भरसक प्रयास का दावा कर रहा है। लेकिन, एक मजदूर को 13 दिन बीत जाने के बाद भी निकालने में पूरी तरह असफल रहा है। बीते हफ़्ते भर से तो मौके पर किसी तरह का रेस्क्यु किया ही नहीं गया।
सामाजिक संगठन लगातार सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों को ज्ञापन सौंप कर मुपाराम को कुंए से बाहर निकालने की मांग कर रहे हैं।
कुँए के मालिक ईश्वर सिंह राजस्थान पुलिस में असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर हैं। उनका कहना है कि मुपाराम के साथ हुए हादसे की वजह से उनका 45 लाख रुपये का नुकसान हो गया।
“मुपाराम ने नौ हजार रुपये में ठेका लिया था। पिछले तीन सप्ताह से वह कुँए पर काम कर रहे थे। अचानक यह घटना हो गई। इस मामले के बाद तीस बीघा जमीन पर उनकी कपास की खेती सूख रही है।”
एएसआई ईश्वर बताते हैं, “इस कुंए के पास ही उनका परिवार रहता है। लेकिन इस घटना के बाद वो डर और भय के माहौल में जी रहे हैं।”
कुँआ मालिक ईश्वर खुद चाहते हैं कि जल्द से जल्द मजदूर को बाहर निकाला जाए।