भारत ने आदित्य L1 मिशन को लॉन्च कर दुनिया भर में अंतरिक्ष में एक और कीर्तिमान का परचम लहरा चुका है। अब यह 8 अप्रैल को होने वाले पूर्ण सूर्य ग्रहण पर नजर रखेगा। इस दौरान इसके दो इंस्ट्रूमेंट्स प्राथमिक रूप से इस ग्रहण को ऑब्जर्वेशन पर काम करेंगे। इसमें लगा एक इंस्ट्रूमेंट सूर्य ग्रहण के दौरान तस्वीरें लेगा।
8 अप्रैल को दुनिया के कई हिस्सों में पूर्ण सूर्य ग्रहण दिखाई देगा। सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी के एक सीधी रेखा में आने पर करीब चार मिनट के लिए अंधेरा छा जाएगा।
इस दौरान आदित्य एल-1 भी सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य को लैग्रेंज प्वाइंट-1 से को ऑब्जर्व करेगा, जो पृथ्वी और सूर्य की 15 लाख किलोमीटर दूरी पर है। आदित्य एल1 अंतरिक्ष यान ने 2023 में पृथ्वी छोड़ने के बाद इस साल की शुरुआत में लैग्रेंज प्वाइंट 1 पर अपनी हेलो कक्षा में प्रवेश कर गया था। अंतरिक्ष यान को एल1 पर अंतरिक्ष की ठंडक में कैलिब्रेट किया जा रहा है और इसने विज्ञान अवलोकन शुरू कर दिया है।
आदित्य एल-1 के 6 इंस्ट्रूमेंट्स सूर्य को ऑर्ब्जव करत हैं, लेकिन इसमें से दो इंस्ट्रूमेंट्स विसिबल एमिशन लाइन कोराेनाग्राफ (VELC) और सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (SUIT) प्राथमिक रूप से सूर्य ग्रहण को ऑब्जर्व करेंगे।
आदित्य L-1 का SUIT लेगा ग्रहण के दौरान तस्वीरें
इनमें से कोरोनोग्राफ सूर्य की डिस्क को अवरुद्ध करता है और स्पेसक्राफ्ट पर एक कृत्रिम ग्रहण बनाकर सूर्य की बाहरी परत कोरोना का अध्ययन करता है। वहीं इस बीच, SUIT निकट पराबैंगनी में सौर प्रकाशमंडल और क्रोमोस्फीयर की तस्वीरें लेता है।
आदित्य एल-1 दुर्लभ ग्रहण के दौरान सूर्य को ऑब्जर्व करने वाला एकमात्र अंतरिक्ष यान नहीं होगा, 4 अप्रैल को सूर्य के सबसे करीब पहुंचे यूरोप के सोलर ऑर्बिटर के उपकरण भी ग्रहण को ऑब्जर्व करने के लिए सक्रिय हो जाएंगे।
ग्रहण के दौरान, सूर्य की बाहरी पर कोरोना दृश्य होती है, क्योंकि चंद्रमा सौर डिस्क को अवरुद्ध करता है और बाहरी चमकदार परतों को चमकता हुआ दिखाता है और इसे पृथ्वी से एक संक्षिप्त क्षण के लिए देखा जा सकता है। अन्य समय कोरोना पृथ्वी से दिखाई नहीं देता है।
आदित्य-एल1 पर लगे आदित्य पेलोड के लिए प्लाज्मा एनालाइज़र पैकेज ने फरवरी में कोरोनल मास इजेक्शन के पहले सौर पवन प्रभाव का पता लगाया। इस बीच, 6 मीटर लंबा मैग्नेटोमीटर बूम जनवरी में तैनात किया गया था।
सौर ऑर्बिटर पृथ्वी पर हमारे परिप्रेक्ष्य की तुलना में सूर्य का अवलोकन करेगा। इसका मतलब यह है कि सूर्य के बाहरी वातावरण की संरचनाएं, जो हम पृथ्वी से सूर्य के दाहिनी ओर देखते हैं, उन्हें स्पेसक्राफ्ट द्वारा सीधे आमने-सामने देखा जाएगा।
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