783 रु दिहाड़ी हरियाणा में लेकिन गुजरात में मात्र 320 रुपए, क्यों

दो दशक में विकास दर 6 से 7 फीसदी के बीच रही है. विकास से इसे अच्छा मान सकते हैं. मगर क्या इसका लाभ हमारे मजदूरों को भी मिला? बिल्कुल नहीं, क्योंकि अगर मिला होता तो न्यूनतम मजदूरी और वेतन में इतना बड़ा अंतर नहीं दिखता. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की ‘इंडिया वेज रिपोर्ट’ बताती है कि 1993 से 2012 तक संगठित क्षेत्र के वेतन में जैसा इजाफा देखा गया, वैसा असंगठित क्षेत्र में नहीं रहा.

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