मध्यप्रदेश के हर घर में छह जुलाई से स्कूल की घंटी सुनाई देगी। इस दौरान बच्चे पढ़ेंगे, लिखेंगे कहानियां सुनेंगे और उनपर नोट्स तैयार करेंगे। कोरोना संकट काल में विद्यार्थियों की शैक्षिक निरंतरता बनाए रखने के लिए राज्य शिक्ष केन्द्र और स्कूल शिक्षा विभाग ने ‘हमारा घर हमारा विद्यालय’ योजना तैयार की है।
इस योजना के तहत आगामी 6 जुलाई से बच्चों के घरों पर ही स्कूली वातावरण में अध्ययन की तैयारी की गई है। इस कार्यक्रम का औपचारिक शुभारंभ आज मंत्रालय में सुबह 11 बजे फेसबुक लाइव कार्यक्रम हमारा घर हमारा विद्यालय में विभाग की प्रमुख सचिव रश्मि अरुण शमी ने किया।
इस ऑनलाइन कार्यक्रम में सहभागी एक लाख से अधिक शिक्षकों और अन्य सहयोगियों को संबोधित करते हुए रश्मि अरुण ने कहा कि बच्चे हर अवसर से सीखते हैं।
अगर बच्चा अपने पिता के साथ खेत में भी जाता है तो भी वह एक नया हुनर प्राप्त करता है और इस काम में दूरी और माप की गणितीय शिक्षा तथा पर्यावरण की शिक्षा प्राप्त करता है।
हर कार्य उन्हें अनुभव प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि विभाग का दायित्व है कि, स्कूल बंद होने से हम बच्चों को हर तरह से सीखने में सहयोग करें।
उन्होंने परिजनों से आग्रह किया है कि बच्चों को घर पर भी अध्ययन का वातावरण उपलब्ध कराएं, उन्हें घर में ही एक उचित स्थान दें जहां वे बिना किसी व्यवधान के अपनी पढ़ाई कर सकें।
‘हमारा घर हमारा विद्यालय’ योजना ऐसी ही एक भावनात्मक पारिवारिक पहल है जो बच्चों को परिवार के सहयोग से घर पर ही पढ़ाई को सुचारु रखने में सहयोगी होगी।
इस अवसर पर आयुक्त राज्य शिक्षा केन्द्र लोकेश कुमार जाटव ने बताया कि, ‘हमारा घर हमारा विद्यालय’ योजना प्रदेश के कक्षा 1 से 8 तक के विद्याथिर्यों के लिए बनाई गई है। विद्यार्थी अब अपने घर पर ही विद्यालय के वातावरण में पढ़ाई कर सकेंगे।
घर के स्कूल में सुबह 10 बजे परिजनों द्वारा घण्टी/थाली बजाकर स्कूल प्रारम्भ किया जाएगा, इसी प्रकार दोपहर एक बजे घण्टी/थाली बजाकर अवकाश किया जाएगा।
इससे बच्चों को घर में ही विद्यालय का आभास होगा। इस कार्यक्रम के लिए राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा एक सुझावात्मक समय सारिणी भी परिजनों और विद्यार्थियों को उपलब्ध कराई जा रही है।
जिसके अनुसार सोमवार से शुक्रवार सुबह 10 से दोपहर 1 बजे तक विषयनुरुप अध्ययन होगा तथा शनिवार को मस्ती की पाठशाला के तहत मनोरंजनात्मक गतिविधियां आयोजित की जाएंगी।
वहीं, शाम को दो घंटे विद्यार्थी अपने पारिवारिक बड़े-बुजुर्गों से कहानियां सुनकर उनपर नोट्स तैयार करेंगे और योग तथा अन्य खेलकूद की गतिविधियों का आयोजन अपने घर पर ही करेंगे।
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