बिहार सरकार ने सरकारी विभागों में 50 साल से ज्यादा उम्र वाले अक्षम कर्मचारियों को निकालने के अपने फैसले पर काम करना शुरू कर दिया है। सरकार ने पिछले साल जुलाई में ये फैसला लिया था लेकिन अब इस फैसले पर कार्रवाई करनी शुरू कर दी है।
राज्य सरकार ने इस कार्य के लिए दो अलग-अलग कमेटियों को गठित किया है। पहली कमेटी में तीन लोग और दूसरी कमेटी में चार लोग शामिल होंगे। गृह विभाग के प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में इस कमेटी का गठन किया गया है। यह कमेटी समूह क वाले अधिकारियों के कामकाज की समीक्षा करेगी।
इस समिति में गृह विभाग के सचिव और एक आईपीएस रैंक के विशेष सचिव के अलावा विभागीय मुख्य निगरानी पदाधिकारी को शामिल किया गया है। इसके अलावा समूह ख, ग और अवर्गीकृत कर्मचारियों के लिए दूसरी समिति गठित की गई है। इसके अध्यक्ष गृह विभाग के सचिव होंगे।
गृह विभाग के सचिव की टीम में उनके अलावा दो अन्य लोग भी शामिल होंगे, जिसमें उपसचिव शामिल हैं। हर साल दो बार इस कमेटी की ओर से समीक्षा की जाएगी। समिति की अनुशंसा पर इस साल जून से जबरन सेवानिवृत्ति की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
बिहार सरकार की ओर से 50 साल के ऊपर अक्षम कर्मचारियों को हटाने के फैसले में और भी घटक शामिल हैं। सरकार के मुताबिक, कर्मचारियों की कार्यदक्षता के अलावा सत्यनिष्ठा और आचार-व्यवहार को भी शामिल किया गया है। जून के बाद दिसंबर में दोनों कमेटियां एक बार फिर समीक्षा करेंगी। इसका मतलब यह हुआ कि छह-छह महीने में समीक्षा होगी। जब जुलाई में बिहार सरकार ने इसका फैसला लिया था तो कर्मचारी संगठनों ने इस फैसले पर सरकार की काफी आलोचना की थी।