उत्तर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को बिजली दर वृद्धि का करंट देने जा रहे पावर कॉरपोरेशन को खुद तगड़ा झटका लग सकता है। उदय स्कीम से घाटे की भरपाई करने के बावजूद उपभोक्ताओं को इसका लाभ न देने के मामले में उप्र विद्युत नियामक आयोग ने उपभोक्ताओं के साथ ही कॉरपोरेशन से सुझाव और आपत्तियां मांगी हैं।
अब महंगी बिजली से राहत के साथ ही 4.28 फीसद रेगुलेटरी सरचार्ज माफी या छूट के दूसरे रास्ते उपभोक्ताओं के लिए खुल सकते हैं। वर्ष 2016 में बिजली कंपनियों का कुल घाटा 70,738 करोड़ था। घाटे से उबारने वाली केंद्र सरकार की उदय योजना के तहत उप्र की बिजली कंपनियों ने भी अनुबंध किया था। अनुबंध के तहत घाटे का 53,211 करोड़ बैंक ऋण था, जिसका 75 फीसद यानी 39,908 रुपये राज्य सरकार ने वहन कर लिया। बिजली कंपनियों के बड़े घाटे की भरपाई सरकार द्वारा करने के बावजूद, बिजली कंपनियां, उपभोक्ताओं से 4.28 रेगुलेटरी सरचार्ज वसूलती रहीं। इस पर राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा की याचिका पर उप्र विद्युत नियामक आयोग ने कॉरपोरेशन से कई बार रिपोर्ट तलब की और जवाब मांगा।
नियामक आयोग के अध्यक्ष आरपी सिंह ने विशेषज्ञों से इस मामले पर एक प्रपत्र तैयार करवाया। इसमें पाया कि उदय योजना आने के बाद उपभोक्ताओं को जो लाभ मिलना था, वह नहीं दिया गया। वर्ष 2000 से लेकर वर्ष 2016-17 तक के आडिट आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 11,851 करोड़ रुपये अतिरिक्त निकल रहा है। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि नियामक आयोग ने संबंधित प्रपत्र अपनी वेबसाइट पर डाल दिया है और प्रदेश के उपभोक्ताओं, बिजली कंपनियों व सभी पक्षों से 15 दिन में सुझाव व आपत्ति मांगी है। इसमें आयोग द्वारा विद्युत उपभोक्ताओं के लिए दो विकल्प दिए गए हैं। भरपाई करने के लिए उद्यमियों को समय से बिल जमा करने पर 2.5 फीसद और घरेलू सहित अन्य उपभोक्ताओं को समय से बिल जमा करने पर पांच फीसद की छूट दी जाए। इसके साथ ही 4.28 फीसद रेगुलेटरी सरचार्ज समाप्त हो। दूसरा विकल्प यह है कि उदय स्कीम के तहत जो लाभ उपभोक्ताओं को मिलना है, उसके एवज में बिजली की दरों में कोई भी बढ़ोतरी न की जाए।
कॉरपोरेशन का प्रस्ताव- आयोग ने यह कदम उस वक्त उठाया है, जब पावर कॉरपोरेशन ने वर्ष 2019-20 के लिए विद्युत दर वृद्धि प्रस्ताव विद्युत नियामक आयोग में दाखिल किया है। कॉरपोरेशन ने सब्सिडी के बाद निकले 9000 करोड़ रुपये के गैप को आधार बनाकर बिजली की दर बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। उदय स्कीम से उपभोक्ताओं को मिलने वाले 11,851 करोड़ रुपये की देनदारी कॉरपोरेशन पर है। इस तरह से बिजली की दर न बढ़ाने के बाद भी 3851 करोड़ रुपये की देनदारी कॉरपोरेशन पर बचेगी। ऐसे में तय है कि नियामक आयोग, पावर कॉरपोरेशन द्वारा बिजली की दरों में बढ़ोतरी संबंधी प्रस्ताव को यूं ही मंजूरी नहीं देगा।