प्रदेश के सबसे बड़े शहर इंदौर की प्यास नर्मदा नदी 47 सालों से बुझा रही है। 1978 में नर्मदा का पहले चरण के कदम इंदौर में पड़े थे। इसके बाद दो चरण और तैयार हुए।अब चौथे चरण को लाने की तैयारी हो रही है।
प्रदेश की जीवनदायनी नर्मदा नदी तीन हजार किलोमीटर लंबाई में बहती है और हरियाली के साथ आसपास के क्षेत्रों की समृद्धि और विकास की फैलाती है। नर्मदा नदी इंदौर, जबलपुर सहित कई शहरों और गांवों की प्यास बुझा रही है।
नर्मदा मप्र में 1077 किलोमीटर, महाराष्ट्र में 32 किलोमीटर, महाराष्ट्र-गुजरात में 42 किलोमीटर एवं गुजरात में 161 किलोमीटर प्रवाहित होकर कुल 1312 किलोमीटर पश्चात् अंतत: गुजरात में भडूच के निकट खम्भात की खाड़ी के अरब सागर में समाहित होती है। गांधी सागर, ओंकारेश्वर बांध, सरदार सरोवर जैसे बड़े बांध इस नदी पर बने है।
प्रदेश के सबसे बड़े शहर इंदौर की प्यास नर्मदा नदी 47 सालों से बुझा रही है। 1978 में नर्मदा का पहले चरण के कदम इंदौर में पड़े थे। इसके बाद दो चरण और तैयार हुए।अब चौथे चरण को लाने की तैयारी हो रही है। हर दिन तटबंधों को लांघ कर मां नर्मदा 70 किलोमीटर की यात्रा करती है। 540 एमएलडी पानी हर दिन इंदौर की 40 लाख की आबादी की प्यास बुझाता है।
नर्मदा को लाने के लिए इंदौर में आंदोलन
इंदौर में 60 के दशक में सूखा पड़ गया था। यशवंत सागर, बिलावली जैसे जल स्त्रोत सूख गए थे। इंदौर शहर फैल रहा था, लेकिन शहर के पास कोई बड़ी जलराशि नहीं थी। तब शहर के लोगों ने नर्मदा को इंदौर लाने की मांग उठाई। इस महंगी योजना को अमला में लाना सरकार के लिए आसान नहीं था। तब इंदौर में दो माह से भी ज्यादा समय तक लंबा आंदोलन चला। सभी दल एकजुट हो गए।
आखिरकार सरकार को झुकना पड़ा और नर्मदा को इंदौर लाने की घोषणा हुई। आंदोलन से जुड़े अभ्यास मंडल के शिवाजी मोहिते बताते है कि यदि नर्मदा जल इंदौर नहीं आता तो इंदौर वैसा विकसित नहीं होता, जैसा आज है। लोग पलायन करने लगते, बड़े उद्योग नहीं आते। पीथमपुर जैसे इंडस्ट्रियल क्षेत्र को नर्मदा का पानी पहुंचाया जा रहा है।
सिंहस्थ में नर्मदा-शिप्रा जल में लगते है लोग डुबकी
12 वर्षों में एक बार लगने वाले सिंहस्थ महाकुंभ में श्रद्धालु शिप्रा नदी में स्नान करने आते है। शिप्रा नदी प्रदूषित हो चुकी है। दस साल पहले नर्मदा नदी का जल शिप्रा में मिलाया गया। शिप्रा नदी के उद्गम स्थल उज्जैनी में बड़वाह से 60 किलोमीटर लंबी लाइन बिछाकर नर्मदा जल छोड़ा गया।
इससे शिप्रा नदी अपने उद्गम स्थल से पुर्नजीवित हुई। पिछले सिंंहस्थ में नर्मदा जल में ही लाखों भक्तों ने स्नान किया था। नर्मदा नदी के किनारे ओंकारेश्वर ज्योर्तिलिंग और महेश्वर धार्मिक नगरी भी बसी हुई है। नर्मदा नदी से गंभीर नदी को भी लिंक किया गया है। इंदौर के अलावा उज्जैन और देवास शहर की प्यास मां नर्मदा बुझाती है।