देश के 11वें राष्ट्रपति, वैज्ञानिक, शिक्षक, फिलॉसफर कलाम ने कहा था कि ‘जिस दिन सिग्नेचर ऑटोग्राफ में बदल जाए, मान लीजिए आप कामयाब हो गए’. वो ऐसे शख्स थे, जिनकी कितनी ही बात युवाओं को प्ररित करती हैं.
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27 जुलाई 2015 का ही वो दिन था, जब ऐसे अद्भुत इंसान ने दुनिया को अलविदा कहा, जिनसे अभी भी बहुत कुछ सीखना बाकी रह गया था. उन्होंने जिन लोगों के साथ भी काम किया उनके दिलों को छू लिया. दुनिया को अलविदा कहे हुए आज उन्हें 2 साल हो गए हैं. लेकिन आज भी वह लोगों के दिलों में जिंदा हैं.यंग जनरेशन के लिए प्रेरणा कहलाने वाले अब्दुल कलाम को दुनिया ‘मिसाइल मैन’ के नाम से जानती है.
आइए जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ अहम किस्से
1. 15 अक्टूबर 1931 को धनुषकोडी गांव (रामेश्वरम, तमिलनाडु) में एक मध्यमवर्ग मुस्लिम परिवार में इनका जन्म हुआ.
2. उनके पिता जैनुलाब्दीन ज़्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे, न ही पैसे वाले थे. अपने पिता की मदद के लिए स्कूल जाने से पहले कलाम अखबार बेचा करते थे.
3. अब्दुल कलाम संयुक्त परिवार में रहते थे. वह पांच भाई और पांच बहन थे.
4. कलाम ने 1958 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलजी से अंतरिक्ष विज्ञान में ग्रेजुएशन की डिग्री ली. ग्रेजुएट होने के बाद उन्होंने हावरक्राफ्ट परियोजना पर काम करने के लिये भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में प्रवेश लिया.
5. 1962 में वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में आए, जहां उन्होंने सफलतापूर्वक कई उपग्रह प्रक्षेपण परियोजनाओं में अपनी भूमिका निभाई.
6. 1962 में वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन से जुड़े. अब्दुल कलाम को परियोजना महानिदेशक के रूप में भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (SLV III) मिसाइल बनाने का श्रेय हासिल हुआ.
7. वह देश के पहले सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल के प्रोजेक्ट डायरेक्टर थे, जिसने 1980 में रोहणी उपग्रह को पृथ्वी की ऑर्बिट में स्थापित किया.
8. पोखरण-II परमाणु परीक्षण के दौरान वो चीफ प्रोजेक्ट को-ऑर्डिनेटर थे.
9. डॉ. सोमा राजू के साथ मिलकर कलाम- राजू स्टंट नाम से सस्ता कोरोनरी स्टंट बनाया.
10. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, डीआरडीओ के पूर्व चीफ की मानें तो ‘अग्नि’ मिसाइल के टेस्ट के समय कलाम काफी नर्वस थे. उन दिनों वो अपना इस्तीफा अपने साथ लिए घूमते थे. उनका कहना था कि अगर कुछ भी गलत हुआ तो वो इसकी जिम्मेदारी लेंगे और अपना पद छोड़ देंगे.
11. एक बार कुछ नौजवानों ने डॉ कलाम से मिलने की इच्छा जताई. इसके लिए उन्होंने उनके ऑफिस में एक पत्र लिखा. कलाम ने राष्ट्रपति भवन के पर्सनल चैंबर में उन युवाओं से न सिर्फ मुलाकात की बल्कि काफी समय उनके साथ गुजारकर उनके आइडियाज भी सुनें. आपको बता दें कि डॉ कलाम ने पूरे भारत में घूमकर करीब 1 करोड़ 70 लाख युवाओं से मुलाकात की थी.
12. कलाम ने 26 मई को स्विट्जरलैंड का दौरा किया था. जिसके सम्मान में स्विट्जरलैंड में हर साल यह दिन साइंस डे के रूप में मनाया जाता है.
14. 40 यूनिवर्सिटी ने उन्हें डॉक्ट्रेट की मानद उपाधि दी है. उन्हें पद्मभूषण, पद्म विभूषण और भारत रत्न से भी नवाजा जा चुका है.
15. दिल का दौरा पड़ने से शिलॉन्ग में उनका निधन हो गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर को इसकी जानकारी दी. जिसके बाद राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया गया.
16. कलाम ने अपने जीवन के आखिरी शब्दों से जाते-जाते एक आदर्श नागरिक के लिए सवाल छोड़ दिया. सवाल ये कि, इस दुनिया को इस धरती को कैसे जीने लायक बनाया जाए?
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