4 या 5 दिसंबर, कब है विनायक चतुर्थी?

सनातन धर्म में विनायक चतुर्थी का व्रत विधिपूर्वक किया जाता है। इस व्रत को हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर किया जाता है। इस वर्ष विनायक चतुर्थी की डेट (Vinayak Chaturthi 2024 Date) को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति बन रही है। चलिए इस लेख में हम आपको बताएंगे कि विनायक चतुर्थी व्रत की सही डेट।

सनातन धर्म में चतुर्थी तिथि का खास महत्व है। मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर विनायक चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। इस शुभ तिथि पर भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही जीवन के विघ्न दूर करने के लिए व्रत भी किया जाता है। इसके अलावा जीवन में आने वाले सभी दुख और संकट दूर होते हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi 2024) की डेट, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।

विनायक चतुर्थी 2024 शुभ मुहूर्त (Vinayak Chaturthi Shubh Muhurat)

पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 04 दिसंबर को दोपहर 01 बजकर 10 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन 05 दिसंबर को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट पर होगा। इस दिन चन्द्रास्त का समय रात 09 बजकर 07 मिनट है। साधक 05 दिसंबर को विनायक चतुर्थी का व्रत रख सकते हैं।

ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 05 बजकर 11 मिनट से 06 बजकर 05 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 01 बजकर 56 मिनट से 02 बजकर 37 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 05 बजकर 21 मिनट से 05 बजकर 49 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 11 बजकर 45 मिनट से 12 बजकर 39 मिनट तक

विनायक चतुर्थी पूजा विधि (Vinayak Chaturthi Puja Vidhi)

विनायक चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें।
घर और मंदिर की सफाई कर चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश की मूर्ति को विराजमान करें।
इसके बाद गणपति बप्पा को फल, फूल, धूप समेत आदि चीजें अर्पित करें।
देसी घी का दीपक जलाकर विधिपूर्वक आरती करें और मंत्रों का जप करें।
इसके बाद फल और मोदक समेत आदि चीजों का भोग लगाएं।
जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए कामना करें।
अंत में लोगों में प्रसाद का वितरण करें।

इस मंत्र का करें जप इस मंत्र का करें जप (Lord Ganesh Mantra)

गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः । द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥
विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः । द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्‌ ॥

आर्थिक प्रगति हेतु मंत्र
ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

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