आम जनता पर महंगाई का कहर जारी है। 12 नवंबर को अक्टूबर महीने की रिटेल इन्फलेशन रेट जारी हुआ था। इसके बाद आज थोक महंगाई दर जारी होगी। इस बार खाद्य पदार्थों की कीमतों में तेजी के कारण महंगाई बढ़ी है। अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर 6.21 फीसदी रही। वहीं थोक महंगाई दर 2.36 फीसदी रही। आइए इस रिपोर्ट में विस्तार से जानते हैं।
आज अक्टूबर 2024 के थोक महंगाई के आंकड़े जारी हो गए हैं। 12 नवंबर को जारी रिटेल महंगाई ने आरबीआई के दायरे को लांग दिया। अब अक्टूबर में थोक महंगाई ने भी आम जनता को झटका दिया है।
सरकार द्वारा जारी हुए आंकड़े के अनुसार अक्टूबर में डब्ल्यूपीआई 2.36 फीसदी रही। यह चार-महीने के उच्चतम स्तर पर है। खाद्य पदार्थों, हरी सब्जियों और मैन्यूफैक्चर्ड गुड्स की कीमतों में तेजी के कारण इन्फलेशन रेट में तेजी आई। सितंबर 2024 में थोक महंगाई दर 1.84 फीसदी रही। पिछले साल अक्टूबर में थोक महंगाई दर नेगेटिव में 0.26 फीसदी थी।
क्यों बढ़ी महंगाई
सरकारी डेटा के अनुसार अक्टूबर में खाद्य पदार्थों की कीमतों में 13.54 फीसदी की तेजी आई, जबकि सितंबर में इसमें 11.53 फीसदी की तेजी आई थी। सब्जियों के दाम भी अक्टूबर में 63.04 फीसदी बढ़ गए, जबकि सितंबर में इनमें 48.73 फीसदी की तेजी आई थी। अक्टूबर में आलू और प्याज की कीमतों में तेजी जारी रही। इन दोनों की कीमतों में क्रमशः 78.73 प्रतिशत और 39.25 प्रतिशत का इजाफा हुआ।
फ्यूल और पावर की कीमतों में ज्यादा बढ़त नहीं हुई है। इनमें 5.79 फीसदी की डिफ्लेशन आई, हालांकि अक्टूबर में इनमें 4.05 फीसदी का डिफ्लेशन था। मैन्यूफैक्चर्ड आइटम में अक्टूबर में 1.50 फीसदी का इनफ्लेशन हुआ जो सितंबर महीने से 1 फीसदी ज्यादा है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के स्टेटमेंट के अनुसार अक्टूबर महीने में खाद्य पदार्थों की कीमतों में तेजी आने के कारण महंगाई बढ़ी है। खाद्य पदार्थों के अलावा अक्टूबर महीने में मैन्यूफैक्चरिंग, मोटर व्हीकल मैन्यूफैक्चरिंग, मशीनरी इक्विपमेंट के विनिर्माण की कीमतों में भी तेजी आई है।
लगातार दो महीने से डब्लयूपीआई में तेजी आई। इस साल जून 2024 में थोक महंगाई दर ने 3.43 फीसदी का आंकड़ा छुआ था।
आरबीआई के दायरे से बाहर महंगाई
12 नवंबर को जारी हुए खुदरा महंगाई दर में भी तेजी देखने को मिली थी। अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर 6.21 फीसदी पहुंच गया था जो 14-महीने के उच्चतम स्तर पर है। यह आरबीआई लेवल से ऊपर है। बढ़ती महंगाई के कारण अब दिसंबर में रेपो रेट में कटौती की उम्मीद कम हो गई है। फरवरी 2023 से रेपो रेट 6.5 फीसदी पर स्थिर है।