लोकलुभावन वादे कर सत्ता हासिल चुकी बीजेपी के लिए उन्हें पूरा करना बड़ी चुनौती होगी. पार्टी ने ‘मुफ्त’ के जो पांच बड़े वादे किए हैं उससे ही करीब 35 हजार करोड़ रुपये का बोझ पड़ रहा है.
अन्य वादों को शामिल करने पर यह रकम कई गुना अधिक हो जाती है. जबकि उत्तर प्रदेश सरकार पर इस वक्त 2,95,770 करोड़ रुपए का कर्ज है. ‘उत्तर प्रदेश विकास की प्रतीक्षा में’ नामक किताब लिखने वाले शांतनु गुप्ता कहते हैं कि भारत एक लोक कल्याणकारी राज्य है. पिछले कुछ वर्षों से सत्ता हासिल करने के लिए लोकलुभावन वादों का दौर चल रहा है.भारतीय स्टेट बैंक की रिसर्च रिपोर्ट बताती है कि यूपी में 86,241 करोड़ रुपये का किसान कर्ज बाकी है. इसमें लघु एवं सीमांत किसानों का 27,420 करोड़ रुपये का कर्ज बीजेपी के वादे के हिसाब से माफ करना होगा.इससे बीजेपी भी अछूती नहीं है. इसलिए उसने भी वादे किए हैं. जो वादे किए हैं उसे पूरा भी करना होगा, वरना ये जनता है…सब जानती है. अखिलेश सरकार ने 15 लाख लैपटॉप ‘मुफ्त’ में बांटे. उन्होंने एक लैपटॉप की कीमत 19058 रुपये चुकाई थी. इस पर अखिलेश सरकार ने तकरीबन 3000 करोड़ खर्च किए.गुप्ता कहते हैं
अब बीजेपी ने कॉलेज में दाखिला लेने वाले हर छात्र-छात्रा को लैपटॉप और हर माह एक जीबी डाटा देने का वादा किया है. यूपी बोर्ड के ही 14 लाख विद्यार्थी हर साल 12वीं पास करते हैं. ऐसे में मान लीजिए कि हर साल लैपटॉप और इंटरनेट डाटा में करीब 2700 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे.केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरूवार को संसद में कहा है कि वह किसानों की कर्जमाफी के मसले में किसी राज्य के साथ भेदभाव नहीं करेंगे. केंद्र माफ नहीं करेगी. यदि किसी राज्य के पास सामर्थ्य है तो वह अपने संसाधनों के जरिए इस दिशा में प्रयास कर सकती है.अर्थशास्त्री देविंदर शर्मा कहते हैं कि इस हिसाब से तो यूपी में किसानों की कर्जमाफी का मामला लटकता नजर आ रहा है. प्रधानमंत्री के वादे के बाद भी वित्त मंत्री ऐसा बयान दे रहे हैं. एसबीआई की चेयरपर्सन अरुधंति भट्टाचार्य ने किसानों के लोन माफी न करने की वकालत की है.
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इस हालात में नहीं लगता कि यूपी सरकार उनका लोन आसानी से माफ कर पाएगी.शर्मा कहते हैं कि पब्लिक अकाउंट्स कमेटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस वक्त 6.8 लाख करोड़ रुपये एनपीए है. जिसमें से 70 फीसदी कारपोरेट्स का है. जबकि एक फीसदी ही किसानों का है.कृषि एवं कल्याण मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक यूपी में इस समय छोटे-बड़े करीब 79 लाख किसानों पर कर्ज है.भारतीय स्टेट बैंक की रिसर्च रिपोर्ट बताती है कि यूपी में 86,241 करोड़ रुपये का किसान कर्ज बाकी है. इसमें लघु एवं सीमांत किसानों का 27,420 करोड़ रुपये का कर्ज बीजेपी के वादे के हिसाब से माफ करना होगा.बीजेपी ने गन्ना किसानों से वादा किया है कि फसल बेचने के 14 दिन के भीतर पूरा भुगतान होगा. गन्ना एक्ट में भी यही प्रावधान है.
जबकि पार्टी ने 120 दिन के भीतर अब तक की बकाया राशि का भुगतान करवाने का आश्वासन दिया है. उत्तर प्रदेश गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग विभाग के मुताबिक इस समय 4586 करोड़ रुपये की गन्ना राशि बकाया है.सभी गरीबों को ‘मुफ्त’ में बिजली कनेक्शन देने का वादा किया गया है. बताया गया है कि करीब 2.5 लाख गरीब परिवारों को बिजली कनेक्शन देने पर लगभग 40 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे.हालांकि, यूपी के नए सीएम योगी आदित्यनाथ ने सत्ता संभालते ही अधिकारियों को संकल्प पत्र दे दिया और उसमें किए गए वादों पर आगे बढ़ने के लिए कहा है. यूपी के नए वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल का कहना है कि संकल्प पत्र में किए गए एक-एक वादे को लागू करवाया जाएगा. प्राथमिकता वाली योजनाओं के लिए धन का इंतजाम किया जाएगा.
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