इंडिया गठबंधन के तहत उत्तर प्रदेश में कांग्रेस 35 से ज्यादा सीटों पर दावा कर रही है। पहले दौर की बातचीत में सीटों पर फैसला नहीं हो सका है। अब 12 जनवरी को दोबारा बैठक होगी। इसमें सीटों के मुद्दे पर फिर से चर्चा की जाएगी। कांग्रेस ने प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों को तीन श्रेणी में बांट कर ब्यौरा तैयार किया है। पहली प्राथमिकता श्रेणी में 35 सीटें रखी हैं। जबकि दूसरी प्राथमिकता वाली 25 और तीसरी प्राथमिकता की 20 सीटें हैं। इन सभी सीटों पर संभावित उम्मीदवारों, वोटबैंक की स्थिति, सियासी समीकरण आदि का ब्यौरा लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। उत्तर प्रदेश के प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव अविनाथ पांडेय सहित उत्तर प्रदेश के अन्य राष्ट्रीय नेताओं की मौजूदगी में शीर्ष नेतृत्व के साथ भी सीटों पर मंथन हो चुका है। मंगलवार को सपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रो रामगोपाल और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय की मौजूदगी में बैठक हुई। इसमें उत्तर प्रदेश से जुड़े विभिन्न मुद्दे पर चर्चा की गई।
सूत्रों का कहना है कि इस दौरान सीटों के बंटवारे पर भी चर्चा हुई, जिसमें कांग्रेस ने पहली प्राथमिकता वाली सभी 35 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की मंशा जाहिर की है। कांग्रेस की ख्वाहिश है कि उसे पहली प्राथमिकता की सभी सीटें नहीं दी जाती है तो दूसरी प्राथमिकता वाली कुछ सीटें देकर भरपाई की जाए। अब अगली बैठक 12 जनवरी को है। उम्मीद है कि इसमें सीटों के बंटवारे पर विस्तार से चर्चा होगी। इस बैठक में सहयोगी दलों की सीटें पर भी चर्चा होगी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय का कहना है कि हर मुद्दे पर बातचीत हो रही है। 12 की बैठक के बाद सीटें तय होंगी। हालांकि वह सीटों की संख्या पर अभी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं।
पहली प्राथमिकता वाली सीटें
रायबरेली, अमेठी, सुल्तानपुर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, मुरादाबाद, अमरोहा, अलीगढ़, फतेहपुर सीकरी, खीरी, उन्नाव, फर्रुखाबाद, कानपुर, झांसी, फूलपुर, कैसरगंज, महराजगंज, घोसी, जौनपुर, वाराणसी, गाजीपुर, लालगंज, संत कबीर नगर, बाराबंकी, बांदा, मिश्रिख, बरेली, प्रतापगढ़, जालौन आदि शामिल हैं।
पिछले तीन चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन
2009- कांग्रेस 69 सीटों पर चुनाव लड़ी और 21 जीती। इस चुनाव में सपा 75 पर लड़कर 23 और बसपा 69 पर लड़ी और 20 सीटें जीतीं।
2014- कांग्रेस 67 पर लड़कर सिर्फ दो सीट जीती। सपा 75 में पांच और बसपा 80 पर लड़ी और एक भी सीट नहीं जीत पाई।
2019- सपा- बसपा का गठबंधन था। कांग्रेस 67 पर लड़ी और सिर्फ रायबरेली जीत पाई। सपा 37 पर लड़ी और पांच जीती, जबकि बसपा 38 पर लड़ी और 10 जीती। रामपुर और आजमगढ़ हारने के बाद सपा के सिर्फ तीन सांसद हैं।