आप सभी को बता दें कि पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रुक्मिणी अष्टमी मनाई जाती है. ऐसे में इस बार ये पर्व 29 दिसंबर को यानी शनिवार को है. ऐसे में कहा जाता है कि इस दिन देवी रुक्मिणी की पूजा विशेष रूप से की जाती है और शास्त्रों में लिखा है कि द्वापर युग में इसी तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी देवी रुक्मिणी का जन्म हुआ था. आप सभी को बता दें कि रुक्मिणी अष्टमी पर श्री कृष्ण के साथ देवी रुक्मिणी की पूजा करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है और रुक्मिणी अष्टमी के दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है.
इसके बाद किसी चौकी पर श्रीकृष्ण और देवी रुक्मिणी के साथ प्रद्युम्न की प्रतिमा स्थापित कर दिए हैं. अब दक्षिणावर्ती शंख में स्वच्छ जल लेकर दोनों प्रतिमाओं का अभिषेक करते हैं और इस दौरान श्रीकृष्ण के मंत्रों का जाप करते हैं. अब अभिषेक करने के बाद गन्ध, पुष्प, अक्षत, धूप, दीप आदि से विधिवत पूजन करते हैं और इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण को पीला एवं देवी रुक्मिणी को लाल रंग के वस्त्र अर्पित करते हैं.
अब अंत में भगवान कृष्ण और देवी रुक्मिणी को खीर का भोग लगा देते हैं ध्यान रहे कि खीर में तुलसी जरुर डाली जाती है. वहीं इसके बाद कपूर से आरती करते हैं और संध्या में फिर इसी विधि से पूजा करते हैं. वहीं रात में जागरण कर श्रीकृष्ण के मंत्रों का जाप करते हैं और अगले दिन ब्राहणों को भोजन करवाकर व्रत का उद्यापन कर देते हैं.
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