अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से ट्रस्ट गठन के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सक्रियता बढ़ गई है। आरएसएस के अनुषांगिक संगठन बजरंग दल के नेतृत्व में इसे लेकर विशेष कार्ययोजना बनाई जा रही है। इसमें घरों व मंदिरों में अलख जगाने का अभियान शुरू किया जाएगा। इसके लिए 28 फरवरी से तीन दिवसीय प्रांतीय अधिवेशन का आयोजन होगा।
संघ के प्रांत स्तर पर जुड़े 21 जनपदों के संयोजकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम होगा। जिसमें आंतरिक सुरक्षा, मंदिर निर्माण में हर वर्ग के हिंदुओं की भागेदारी, धर्मांतरण पर रोक लगाने की रणनीति जैसे विषयों पर चर्चा होगी। अधिवेशन को संबोधित करने के लिए बजरंग दल के राष्ट्रीय संयोजक सोहन सोलंकी, विश्व हिंदू परिषद के क्षेत्रीय संगठन मंत्री अंबरीश और प्रांत अध्यक्ष राजीव महाना मौजूद रहेंगे।
इस बीच आरएसएस के पदाधिकारियों की ओर से मंदिर निर्माण में सभी के सहयोग के लिए शाखाओं में रोज बौद्धिक किया जा रहा है। विहिप के प्रांतीय सह मंत्री दीनदयाल गौड़ ने बताया कि एक मार्च तक चलने वाले इस अधिवेशन के आखिरी दिन एक प्रस्ताव भी तैयार किया जाएगा जिसमें मंदिरों में आरती और भजन को नियमित करने पर काम किया जाएगा। अधिवेशन के बाद प्रांतीय स्तर और जिला स्तर पर टीमें गठित की जाएंगी जो अयोध्या के लिए कूच करेंगी।
पटना का महावीर मंदिर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए 10 करोड़ रुपये की राशि दान देगा। महावीर मंदिर ट्रस्ट के सचिव किशोर कुणाल ने बताया, मैं ट्रस्ट की ओर से दो करोड़ का चेक लेकर अयोध्या जा रहा हूं।
प्रस्तावित राम मंदिर के लिए हमारी ओर से कुल 10 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। उन्होंने कहा, इसके साथ ही 1818 में बने 30 सिक्कों को भी दान किया जाएगा, यह सिक्के मंदिर को दानपात्र में मिले थे।
किशोर ने कहा, दानपात्र खोलने के बाद हमें एक आना के 30 सिक्के मिले हैं, जिन्हें ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1818 में जारी किया था। सिक्के की एक ओर श्रीराम, सीता जी, लक्ष्मण जी और हनुमान जी की तस्वीर बनी है। ये सिक्के दान में मिले थे, जिन्हें राम मंदिर के लिए संभाल कर रखा गया है। एजेंसीमंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट के गठन के बाद मुस्लिम पक्षकारों की ओर से विवादित ढांचे का मलवा हासिल करने के लिए नई जद्दोजहद की सूचना के बाद सरकार अलर्ट हो गई है। बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे हाजी महबूब और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने प्रशासन से मलवा देने की मांग की है। इस पर, प्रशासन ने साफ इनकार कर दिया है।
जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने कहा कि पूरे मामले का सुप्रीम कोर्ट से निस्तारण हो चुका है। फैसले के बाद संपूर्ण भूमि के मालिक रामलला हो चुके हैं। यह कैसे तय होगा कि कौन मलवा मंदिर का था, कौन मस्जिद का। ऐसे में इसका मलवा मांगने की मांग उपयुक्त नहीं है। हाजी महबूब ने कहा कि कोर्ट के आदेश में छह दिसंबर 1992 ढांचे को ढहाना आपराधिक कृत्य माना गया है, ऐसे में उसका पवित्र मलवा लेना जरूरी है।
मस्जिद का निर्माण गैरकानूनी साबित नहीं हुआ है। हम विराजमान रामलला का दस गुणा दस फुट भूमि छोड़कर मस्जिद की मिट्टी, उसके खंभे, पत्थर आदि की मांग कर रहे हैं। बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी संयोजक व अधिवक्ता जफरयाब जीलानी ने कहा कि प्रशासन नहीं माना तो नए सिरे से सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।