बुध ग्रह सूर्य के जितना पास है, उसका दीदार उतना ही मुश्किल है। साल में कुछ ही क्षण आते हैं, जब इसे कोरी आंखों से देख पाना संभव हो पाता है। अब यह 27 फरवरी को सूर्य से सबसे अधिक दूरी पर होगा, तभी इसके दर्शन हो सकेंगे।
बुध हमारे सौर परिवार का सबसे छोटा ग्रह है और यह सौर मंडल के अंदरूनी हिस्से में सूर्य के करीब स्थित है। यह चमकीला ग्रह है। सूर्य की अत्यधिक रोशनी में यह दिखाई नहीं पड़ता। जब यह सूर्य से दूर होता है, तभी इसे देखा जा सकता है। इसकी तुलना में मंगल, बृहस्पति और शुक्र को नग्न आंखों से देख पाना इसलिए आसान हैं, क्योंकि वह सूर्य से काफी दूर हैं।
अल्प समय के लिए नजर आने के कारण बुध को देखने के लिए खगोल प्रेमी इंतजार में रहते हैं। ऐसे में 27 फरवरी को बुध ग्रह सूर्य से करीब 18 डिग्री की दूरी पर होगा। इतनी दूरी पर होने के नाते इसकी चमक बढ़ी हुई होगी और नग्न आंखों से देख पाना बेहद आसान हो जाएगा। उस दिन सूर्य जैसे-जैसे ढलता जाएगा, इसकी चमक में उतना ही निखार आने लगेगा।
यह ग्रह अपने आप में अनूठा माना जाता है। इसका अधिकांश हिस्सा ठोस है। नैनीताल स्थित आर्यभटट् प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के वरिष्ठ खगोल वैज्ञानिक डॉ. शशिभूषण पांडे के अनुसार यह 87-97 दिन में सूर्य का एक चक्कर पूरा कर लेता है। सूर्य से दूर पहुंचने के कारण इसका अध्ययन वैज्ञानिकों के लिए आसान हो जाता है।
इस ग्रह के रहस्य को जानने के लिए नासा ने 2004 में मैसेंजर नामक अंतरिक्ष यान भेजा था, जो 2011 में इसकी ऑर्बिट में पहुंचा और लगातार चार साल तक अध्ययन किया। इस ग्रह पर अत्यधिक तापमान के कारण जीवन संभव नहीं है। 2015 में मैसेंजर मिशन का कार्यकाल खत्म हो गया। उन्होंने बताया कि बुध ग्रह पर अध्ययन कर रहे वैज्ञानिकों के लिए यह उपयुक्त समय होगा।