पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि केंद्र सरकार सिर्फ गैर बीजेपी शासित राज्यों में सीएए को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही है.

बुधवार को ममता ने उत्तरी बंगाल के पहाड़ी शहर के मध्य से नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ रैली निकाली. रैली में सैकड़ों लोगों ने भाग लिया.
पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाले गोरखा और अन्य लोगों ने पांच किमी लंबे जुलूस में भाग लिया और इस दौरान लोग हाथों में तिरंगा थामे हुए थे. यह भानुभक्ता भवन से चौक बजार तक निकाला गया.
ममता बनर्जी ने कहा कि अमित शाह को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या किसी व्यक्ति को पहले विदेशी घोषित किया जाएगा और उसके बाद उसे सीएए के तहत नागरिकता के लिए आवेदन की अनुमति होगी.
उन्होंने कहा कि बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार के भय से बंगाल को छोड़कर सभी राज्य नई दिल्ली में एनपीआर को लेकर हुई बैठक में शामिल हुए.
इस रैली में लोगों ने पारंपरिक रंग-बिरंगे परिधान पहने हुए थे और बहुत से लोग पारंपरिक वाद्य यंत्र बजा रहे . रैली में नो एनआरसी, नो सीएए, नो एनपीआर के नारे लगाए गए और सीएए असंवैधानिक के पोस्टर और बैनर लिए हुए थे। यह रैली घुमावदार पहाड़ी गलियों से गुजर रही थी.
रैली मार्ग के दोनों तरह बड़ी संख्या में लोग खड़े थे जो रैली में शामिल लोगों को देख रहे थे. पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के साथ गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के बिनय तमांग गुट ने अपने समर्थकों के साथ रैली में भाग लिया. उत्तर बंगाल की पहाड़ियों में मौजूद कुछ दूसरे दलों ने रैली को नैतिक समर्थन दिया.
बता दें कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री लगातार सीएए और एनआरसी का विरोध कर रही हैं. उन्होंने साफ कह दिया कि राज्य में सीएए और एनआरसी लागू नहीं होगा.
इतना ही नहीं 27 जनवरी को पश्चिम बंगाल विधानसभा से सीएए के खिलाफ एक प्रस्ताव भी पास किया जाएगा. इससे पहले केरल और पंजाब विधानसभा से सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया जा चुका है.
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