सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बिना मर्जी के शादी कराने के खिलाफ एक लड़की की याचिका पर कर्नाटक और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। दरअसल, कर्नाटक की रहने वाली लड़की ने याचिका में मांग की है कि हिंदू मैरेज ऐक्ट के तहत किसी भी लड़का-लड़की की शादी से पहले उनकी सहमति लेनी अनिवार्य बनाया जाए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने लड़की की शादी में दखल से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि शादी को रद्द करान के लिए लड़की सिविल कोर्ट जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह जनहित याचिका में शादी को शून्य करार नहीं दे सकता है। कोर्ट ने कहा कि हिंदू मैरेज ऐक्ट की धारा 12 (1) सी में साफ लिखा है कि अगर अभिभावकों द्वारा शादी के लिए धोखे से या जबरन सहमति ली गई तो शादी को शून्य करार दिया जा सकता है। इसका मतलब साफ है कि सहमति जरूरी है।
कोर्ट ने साथ ही लड़की पुलिस सुरक्षा मुहैया कराने का भी आदेश दिया है। लड़की कर्नाटक के एक ताकतवर राजनेता की बेटी है और वह घर से भागकर आई थी। याचिका में युवती ने कहा है कि वह इंजीनियर है कि दूसरी जाति के युवक से शादी करना चाहती थी, लेकिन घरवालों ने बिना उसकी मर्जी के जबरन दूसरे युवक से उसकी शादी करा दी।
इसके बाद लड़की ने सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दाखिल की थी। लड़की ने कोर्ट से सुरक्षा दिलाने और हिंदू मैरेज ऐक्ट के प्रावधान को भी चुनौती दी थी, जिसमें शादी के लिए मर्जी का जिक्र नहीं है। लड़की ने अपनी याचिका में कहा है कि यह प्रावधान संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकार के खिलाफ है।
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