हर साल आने वाला श्री राधा अष्टमी का पर्व इस साल 25 अगस्त को मनाया जाने वाला है. जी दरअसल इस दिन दोपहर 01 बजकर 58 मिनट पर सप्तमी तिथि समाप्त होगी और इसके बाद अष्टमी तिथि आरंभ होगी. यह तिथि 26 अगस्त को दिन के 10बजकर 28 मिनट तक रहने वाली है.

राधाजी के जन्म की कथा – राधा श्री कृष्ण के साथ गोलोक में निवास करती थीं. एक बार देवी राधा गोलोक में नहीं थीं, उस समय श्रीकृष्ण अपनी एक सखी विराजा के साथ गोलोक में विहार कर रहे थे. राधाजी यह सुनकर क्रोधित हो गईं और तुरंत श्रीकृष्ण के पास जा पहुंची और उन्हें भला-बुरा कहने लगीं. यह देखकर कान्हा के मित्र श्रीदामा को बुरा लगा और उन्होंने राधा को पृथ्वी पर जन्म लेने का शाप दे दिया. राधा को इस तरह क्रोधित देखकर विराजा वहां से नदी रूप में चली गईं. इस शाप के बाद राधा ने श्रीदामा को राक्षस कुल में जन्म लेने का शाप दे दिया. देवी राधा के शाप के कारण ही श्रीदामा ने शंखचूड़ राक्षस के रूप में जन्म लिया.
वही राक्षस, जो भगवान विष्णु का अनन्य भक्त बना और देवी राधा ने वृषभानुजी की पुत्री के रूप में पृथ्वी पर जन्म लिया. लेकिन राधा वृषभानु जी की पत्नी देवी कीर्ति के गर्भ से नहीं जन्मीं. जब श्रीदामा और राधा ने एक-दूसरे को शाप दिया तब श्रीकृष्ण ने राधा से कहा कि आपको पृथ्वी पर देवी कीर्ति और वृषभानु जी की पुत्री के रूप में रहना है. वहां आपका विवाह रायाण नामक एक वैश्य से होगा. रायाण मेरा ही अंशावतार होगा और पृथ्वी पर भी आप मेरी प्रिया बनकर रहेंगी. उस रूप में हमें विछोह का दर्द सहना होगा. अब आप पृथ्वी पर जन्म लेने की तैयारी करें. सांसारिक दृष्टि में देवी कीर्ति गर्भवती हुईं और उन्हें प्रसव भी हुआ. लेकिन देवी कीर्ति के गर्भ में योगमाया की प्रेरणा से वायु का प्रवेश हुआ और उन्होंने वायु को ही जन्मदिया, जब वह प्रसव पीड़ा से गुजर रहीं थी, उसी समय वहां देवी राधा कन्या के रूप में प्रकट हो गईं.
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