आज पहले मुगल सम्राट बाबर के बेटे नासिर-उद-दीन हुमायूं की जयंती है. हुमायूं का जन्म 6 मार्च 1508 ई में हुआ और 29 दिसम्बर 1530 ई में आगरा में 23 साल की उम्र में उन्हें सिंहासन पर बैठा दिया गया था. हुमायूं का मुगल साम्राज्य की नींव में काफी योगदान है. बाबर के 4 बेटे थे, जिसमें हुमायूं सबसे बड़ा थे. बाबर ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया. बाबर की मृत्यु के पश्चात हुमायूं ने भारत की राजगद्दी संभाली और राज्य का बंटवारा अपने भाइयों के बीच कर दिया.
– उनके सौतेले भाई कामरान मिर्जा ने काबुल और लाहौर का शासन ले लिया. कामरान आगे जाकर हुमायूं के कड़े प्रतिद्वंदी बने. हुमायूं का शासन अफगानिस्तान, पाकिस्तान और उत्तर भारत के हिस्सों में भी रहा.
-1533 ई में हुमायूं ने दीनपनाह नाम के एक नए नगर की स्थापना की.
– चौसा का युद्ध चौसा का युद्ध भारतीय इतिहास में लड़े गये महत्त्वपूर्ण युद्धों में से एक है, जो 26 जून, 1539 ई. को हुमायूं और शेरशाह के बीच ‘चौसा’ जगह पर लड़ा गया था. चौसा के युद्ध में हुमायूं को अपनी कुछ गलतियों से हार का सामना करना पड़ा. हुमायूं को युद्ध क्षेत्र से भागना पड़ा और वो वो इरान चले गए. बाद में हुमायूं ने वापस शासन हासिल भी किया था.
– बिलग्राम का युद्ध हुमायूं और सूर साम्राज्य के संस्थापक शेरशाह के बीच हुआ था. यह युद्ध 1540 ई. में लड़ा गया. बिलग्राम का युद्ध जीतने के बाद शेरशाह ने हुमायूं को भारत छोड़ने के लिए विवश कर दिया था.
– बिलग्राम युद्ध के बाद अकबर सिंध चला गया जहां उन्होंने निर्वासित जीवन जिया.
– निर्वासन के समय हुमायूं ने हिंदाल के आध्यात्मिक गुरू फारसवासी शिया, मीर बाबा दोस्त उर्फ मीर अली अकबर जामी की बेटी हमीदा बानू बेगम से 29 अगस्त 1541 ई में निकाह हुआ.
– हुमायूं ने चार बड़े युद्ध लड़े थे:
(1) देवरा का युद्ध:- 1531 ई में लड़ा गया.
(2) चौसा का युद्ध:- 1539 ई में लड़ा गया.
(3) बिलग्राम:- 1540 ई में लड़ा गया
(4) सरहिन्द का युद्ध:- 1555 ई में लड़ा गया
– हुमायूं के बेटे का नाम जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर था. हुमायूं की जीवनी का नाम हुमायूँनामा है जो उनकी बहन गुलबदन बेगम ने लिखी है. 1 जनवरी 1556 को दीन पनाह भवन में सीढ़ियों से गिरने से हुमायूं की मौत हो गई.