तकरीबन डेढ़ माह से किसानों का आंदोलन पंजाब में जारी है। शनिवार को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसान संगठनों से मुलाकात की और राज्य में सभी ट्रेनों के संचालन का मुद्दा उठाया। इस पर किसान संगठनों ने 23 नवंबर से सभी ट्रेनों के लिए 15 दिन तक ट्रैक खाली करने पर सहमति जताई है।

बैठक में ट्रेनें के संचालन ठप होने से पंजाब को हो रहे नुकसान का भी कैप्टन ने हवाला दिया। यह बैठक लगभग एक घंटे तक चली। हालांकि इस दौरान किसान संगठनों ने कहा कि केंद्र सरकार को इन 15 दिनों में खुली वार्ता करनी होगी। अगर ऐसा नहीं हुआ तो 15 दिन बाद किसान संगठन अपना आंदोलन फिर शुरू कर देंगे। वहीं किसानों के प्रस्तावित ‘दिल्ली चलो आंदोलन’ में कोई बदलाव नहीं किया गया है। पंजाब के किसान 26 नवंबर को दिल्ली कूच करेंगे।
पंजाब में मालगाड़ियों के न चलने का असर यूरिया की आपूर्ति पर पड़ा है। पंजाब में इस समय यूरिया और तापीय विद्युत संयत्रों में कोयले की भारी कमी है। वहीं अवाश्यक वस्तुओं की आपूर्ति भी ठप है। पंजाब सरकार ने किसानों से आग्रह किया था कि वे रेल रोको आंदोलन वापस ले लें लेकिन किसानों का कहना था कि राज्य सरकार यूरिया की आमद की व्यवस्था खुद करे और ट्रकों के जरिए पंजाब तक लाए।
पंजाब में विभिन्न टोल प्लाजा पर किसान आंदोलन के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग प्रधिकरण (एनएचएआई) को लगभग 150 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा हुआ है। यह जानकारी प्रधिकरण के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी।
पंजाब में एक अक्तूबर से किसान संगठन केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं और प्रमुख राजमार्गों पर स्थित विभिन्न टोल प्लाजा पर उनका धरना भी जारी है। आंदोलनकारी किसानों ने टोल प्लाजा के कर्मचारियों को वाहनों से टोल वसूलने पर रोक दिया है।
इन टोल प्लाजा से सभी वाहनों को बिना टोल के गुजरने दिया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि पंजाब में एनएचएआई के 25 टोल प्लाजा हैं।एनएचएआई के चंडीगढ़ में क्षेत्रीय अधिकारी आरपी सिंह ने बताया कि किसान संगठन टोल प्लाजा पर डेढ़ माह से आंदोलन कर रहे हैं, जिससे करीब 150 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है।
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