डेरा सच्चा का प्रमुख बनने तक राम रहीम की कहानी बेहद दिलचस्प है. उसका का जन्म 15 अगस्त 1967 को राजस्थान के गंगानगर जिले की गुरुसर मोदिया गांव में जट सिख परिवार में हुआ था. वह अपने पिता की इकलौती संतान है. उसके पिता मगहर सिंह गांव के जमींदार थे. उसकी माता का नाम नसीब कौर है. आजतक को एक इंटरव्यू में राम रहीम ने दावा किया था कि उसका जन्म संतों के आशीर्वाद की वजह से हुआ था.
उसने बताया था, शादी के काफी साल बीतने के बावजूद माता-पिता को बच्चे नहीं हो रहे थे. परिवार डेरा से जुड़ा था. माता-पिता संतान न होने की तकलीफ संत त्रिवेणी दास के सामने रखी. तब संत ने कहा, बच्चे होंगे, पर इसकी एक शर्त है. बच्चा उनके पास सिर्फ 23 साल तक रहेगा. इसके बाद वह जिस काम के लिए आया है वह करेगा. राम रहीम का दावा है कि माता-पिता के राजी होने के कुछ महीनों बाद उसका जन्म हुआ.
17 की उम्र में शादी, 23 साल की उम्र में संन्यास
पिता को मालूम था मैं 23 साल की उम्र के बाद संन्यास ले लूंगा. इसी वजह से पिता ने महज 17 साल की उम्र में हरजीत कौर के साथ उसकी शादी कर दी. जल्द ही राम रहीम एक बेटा और दो बेटी का पिता बना. 23 साल पूरा होने पर डेरा के आदेश के बाद उसने घर छोड़ दिया और संन्यास ले लिया. हालांकि उसकी पत्नी अब भी डेरा में ही रहती है. पर बाबा का दावा है कि संन्यास लेने के बाद उसने ब्रह्मचर्य का पालन किया है. वैसे बता दें कि राम रहीम की पत्नी सार्वजनिक रूप से कम नजर आती है. वह डेरा से जुड़े सामाजिक कार्यों में ही ज्यादा सक्रिय रहती है.
संबंध बनाने से मना करती थी पत्नी, पति ने उठाया ये कदम…
राम रहीम का परिवार
पत्नी के अलावा दो बेटियां और एक बेटा है. बड़ी बेटी का नाम चरणप्रीत जबकि छोटी का नाम अमरप्रीत है. राम रहीम ने एक बेटी गोद ले रखा है. उसका नाम हनी प्रीत है. राम रहीम की बड़ी बेटी चरणप्रीत का पति भी डेरा अनुयायी है. उसका नाम डॉक्टर शान-ए-मीत इंसा है. छोटी बेटी का पति रूह-ए-मीत इंसा है. बेटे का नाम जसमीत है. उसकी शादी बठिंडा के पूर्व विधायक हरमिंदर सिंह जस्सी की बेटी हुस्नमीत इंसा से हुई है.
27 साल पहले बना था डेरा प्रमुख
राम रहीम ने 1990 में तीसरे प्रमुख के रूप में डेरा सच्चा सौदा को संभालना शुरू किया था. यह डेरा 1948 में शाह मस्ताना जी ने स्थापित किया था. डेरे का दावा है कि दुनियाभर में इसके पांच करोड़ अनुयायी हैं. पूरे देश में डेरे के 50 से भी ज्यादा आश्रम हैं.
राम रहीम ने बनाया डेरे को आधुनिक
राम रहीम को डेरा सच्चा सौदा को आधुनिक बनाने का श्रेय दिया जाता है. पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में डेरा के सबसे ज्यादा समर्थक हैं. हरियाणा के सिरसा में डेरा का मुख्यालय है. यह कई सौ एकड़ में फैला हुआ है. उसमें स्टेडियम, स्कूल, सिनेमा हाल, सभास्थल जैसी दुनियाभर की सुविधाएं हैं.
फिल्मों की वजह से बदला हुलिया
राम रहीम का डेरा कई तरह के जन कल्याण कार्यों को संचालित करने का दावा करता रहा है. इनमें से एक युवाओं को नशे से दूर रखने की मुहीम है. बाबा ने युवाओं को सही राह दिखाने के लिए रॉक स्टार का रूप धारण किया. उसने कई रॉक स्टार की तरह कई कॉन्सर्ट किए. बाद में उसने कई फ़िल्में भी की. इनमें मैसेंजर ऑफ गॉड प्रमुख है. उसने फिल्म में खुद कहानी लिखी, डायरेक्शन किया और गाने गाए. इसकी सिक्वल भी बनाई. जट्टू इंजीनियर उसकी लेटेस्ट फिल्म थी. वह अपनी फिल्मों में गलत काम करने वालों का सफाया करते नजर आता है.
वह आरोप जिसकी वजह से आया सुर्ख़ियों में
बाबा के खिलाफ समय-समय पर विवादित आरोप लगते रहे हैं. बाबा के खिलाफ 2002 में डेरे की एक साध्वी के यौन शोषण का आरोप लगा. इसका खुलासा तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को लिखे एक गुमनाम चिट्ठी से हुआ. हरियाणा के एक हिंदी सांध्य ने इस खबर को प्रमुखता से उठाया था. बाद में इस अखबार के सम्पादक की हत्या कर दी गई. राम रहीम पर हत्या का आरोप लगा. इसी साल डेरे के एक मैनेजर रंजीत सिंह की ह्त्या का मामला भी सामने आया. आरोप था कि इसके पीछे राम रहीम का हाथ था. दरअसल, गुमनाम चिट्ठी के पीछे रंजीत सिंह का हाथ होना बताया गया. दोनों मामलों का ट्रायल कोर्ट में है. राम रहीम के ऊपर 400 साधुओं को नपुंसक बनाने और अपने आश्रम के सेवादारों को सैन्य ट्रेनिंग देने का भी आरोप है.
गुरु की ड्रेस को लेकर विवाद
2007 में राम रहीम एक बार फिर बड़े विवाद में फंसा. दरअसल, उसने एक विज्ञापन में सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी के लिबास जैसा परिधान पहने नजर आया. राम रहीम के इस गेटअप के बाद पंजाब और हरियाण में हिंसा फ़ैल गई. इससे जान-माल का काफी नुकसान हुआ. पंजाब के बठिंडा में मामला भी दर्ज किया गया. हालांकि बाद में पंजाब सरकार ने ये मामला वापस ले लिया.
क्या है डेरे का इतिहास
डेरे का साम्राज्य भारत के अलावा विदेशों तक है. इनमें अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और तक डेरे का आश्रम व अनुयायी हैं. डेरा सच्चा सौदा की स्थापना पाकिस्तान के बलूचिस्तान के रहने वाले मस्ताना बलूचिस्तानी ने सन 1948 में की थी. मस्ताना बलूचिस्तान के समर्थकों के बीच बेपरवाह मस्ताना जी महाराज के नाम से मशहूर थे. डेरा सच्चा सौदा की स्थापना से पहले मस्ताना जी महाराज बाबा सावन सिंह ग्रेवाल के अनुयायी थे. सावन सिंह ग्रेवाल को ‘बड़े महाराज’ कहकर बुलाया जाता था. वह राधास्वामी सत्संग व्यास डेरे के दूसरे गुरु माने जाते हैं. 1948 में उनका निधन हुआ. सावन सिंह चाहते थे कि उनकी मौत के बाद भी आध्यात्मिक सिद्धांतों को दुनिया तक पहुंचाना जारी रहे. इसलिए उन्होंने इसका जिम्मा सरदार जगत सिंह बहादुर को दिया गया. उनके बाद ये आध्यात्मिक मिशन अलग-अलग हिस्सों में बंट गया. मिशन को आगे ले जाने के लिए मस्ताना बलूचिस्तानी ने हरियाणा में 1948 में राधास्वामी सत्संग ब्यास के डेरे से अलग होकर डेरा सच्चा सौदा डेरा की स्थापना की. मस्ताना जी के बाद 1960 से 1990 तक शाह सतनाम जी महाराज डेरा प्रमुख रहे.
1990 में शाह सतनाम ने गुरमीत सिंह को गद्दी सौंपी. जब गुरमीत सात साल के थे तब तत्कालीन डेरा प्रमुख शाह सतनाम सिंह जी ने उनको गुरमीत राम रहीम सिंह का नाम दिया था. डेरे के अनुयायियों में ज्यादातर सिख और हिंदू धर्म के पिछड़े और दलित वर्गों के लोग शामिल हैं. यह संगठन समाज में समानता और बराबरी की बात करता है. डेरा सत्संग से लेकर फिल्म बनाने और कई प्रोडक्ट्स का उत्पादन करता है. डेरे की संपत्ति पांच हजार करोड़ रुपये से ज्यादा बताई जा रही है.