भारत का मुक्त व्यापार समझौता (FTA) साझेदार संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से सोने और चांदी का इम्पोर्ट बढ़ गया। FY24 में 210 फीसदी आयात बढ़ा है। इस बढ़ोतरी को कम करने के लिए रियायती सीमा शुल्क दरों में संशोधन की आवश्यकता है। जीटीआरआई ने इसको लेकर रिपोर्ट पेश की है। आइए इसआर्टिकल में विस्तार से जानते हैं।
भारत का मुक्त व्यापार समझौता (FTA) साझेदार संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से सोने और चांदी का आयात में बढ़ोतरी हुई है। वित्त वर्ष 2023-24 में 210 फीसदी बढ़कर 10.7 अरब डॉलर हो गया।
इस तेजी के कम करने के लिए रियायती सीमा शुल्क दरों में संशोधन करने की जरूरत है। आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने इसको लेकर रिपोर्ट पेश की।
जीटीआरआई की रिपोर्ट के अनुसार सोने और चांदी के आयात में यह तेज वृद्धि मुख्य रूप से भारत-यूएई व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) के तहत भारत द्वारा संयुक्त अरब अमीरात को दी गई आयात शुल्क रियायतों से प्रेरित है।
चांदी पर कितना लगता है आयात शुल्क
जीटीआरआई के रिपोर्ट के मुताबिक भारत चांदी के आयात पर 7 प्रतिशत का शुल्क और 160 मीट्रिक टन पर 1 फीसदी की रियायत देता है। फरवरी 2022 में सीईपीए पर हस्ताक्षर किया गया था और यह मई 2022 में लागू हुआ था।
इसके अलावा भारत गिफ्ट सिटी में इंडिया इंटरनेशनल बुलियन एक्सचेंज (आईआईबीएक्स) के माध्यम से प्राइवेट कंपनियों को यूएई से आयात करने की अनुमति देकर सोने और चांदी के आयात की सुविधा दी है। पहले इसका लाभ केवल कुछ अधिकृत एजेंसियों को ही मिलता है।
भारत और यूएई के बीच कितना है कुल आयात
रिपोर्ट के मुताबिक यूएई से भारत का कुल आयात वित्त वर्ष 2023 में 53.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 9.8 प्रतिशत गिरकर वित्त वर्ष 24 में 48 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। वहीं, सोने और चांदी का आयात 210 प्रतिशत बढ़कर 3.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 10.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
बाकी सभी प्रोडक्ट का इम्पोर्ट 25 प्रतिशत गिर गया। वित्त वर्ष 2013 में 49.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 24 में 37.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा
भारत में सोने, चांदी और आभूषणों पर 15 प्रतिशत का उच्च आयात शुल्क समस्या की जड़ है। टैरिफ को 5 प्रतिशत तक कम करने पर विचार करें। इससे बड़े पैमाने पर तस्करी और अन्य दुरुपयोग में कमी आएगी।
श्रीवास्तव ने सुझाव दिया कि सरकार भारत को अपनी व्यापार नीतियों को संतुलित करने, घरेलू राजस्व की रक्षा करने और कीमती धातुओं और आभूषणों के आयात में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने में मदद करने के लिए कुछ उपाय लागू करें।