नई दिल्ली। पूर्ण सूर्य ग्रहण 99 साल बाद इस साल 21 अगस्त को हो रहा है। इस घटना को देखने के लिए पूरी दुनिया से करीब 70 लाख से अधिक लोग अमेरिका के विभिन्न शहरों में जाने वाले हैं। बहुत से लोगों का मानना है कि पूर्ण सूर्य ग्रहण का मतलब दुनिया का अंत होना है।
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कई लोगों ने इसे पहले ही एपोकलिप्स वीक (धरती के अंत का सप्ताह या कयामत का दिन) करार दे दिया है। जानिए क्यों कई लोग मान रहे हैं कि पूर्ण सूर्यग्रहण का अर्थ दुनिया के अंत से लगा रहे हैं।
कयामत का दिन
अमेरिका में कई लोगों का कहना है कि ग्रहण आने वाले कयामत के दिन का संकेत है। Unsealed नामक एक ईसाई भविष्यवाणी वेबसाइट में कहा गया है कि यह तथाकथित क्लेश की शुरुआत करेगा, जिससे सात साल के समय में दुनिया की करीब 75 फीसदी आबादी खत्म हो जाएगी।
प्राचीन डर
7वीं शताब्दी ईसा पूर्व में ग्रीक द्वीप के पारोस पर पूर्ण सूर्य ग्रहण होने पर आर्चिलोकस नाम के कवि ने लिखा था- “दुनिया में कुछ भी मुझे अब आश्चर्यचकित नहीं कर सकता। ओलंपियन के पिता जीउस के लिए चमचमाते सूर्य की रोशनी को रोककर दोपहर में काली रात कर दी। और अब मानव जाति पर अंधेरा आतंक छा गया है। कुछ भी हो सकता है।
बुराई दूर होगी
प्राचीन काल में कई ग्रहणों के दौरान लोग कई अनुष्ठान करते थे, जिसके बारे में उनका मानना था कि इससे राक्षस दूर होंगे। पश्चिमी एशिया में यह मिथक था कि ड्रैगन सूर्य खा रहा था। चीन में माना जाता है कि सूर्य ग्रहण के दौरान एक कुत्ता सूर्य काट रहा है। वहीं, पेरू में इसे एक प्यूमा के रूप में बताया गया है।
कितनी देर तक होगा ग्रहण
सौर ग्रहण एक खगोलीय घटना है, जिसमें सूर्य और पृथ्वी के बीच से चंद्रमा गुजरता है। जब सूरज के सभी हिस्से को चंद्रमा ढंक लेता है, तो उसे सूर्य ग्रहण कहा जाता है। यह प्रक्रिया लगभग तीन घंटे तक चलती है। ग्रहण के लिए सबसे लंबी अवधि लगभग दो मिनट 40 सेकंड की होती है, जब चंद्रमा पूरी तरह से सूर्य को ढंक लेता है।
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