भारतीय सेना के अध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने गुरुवार को कहा कि 2020 एक अद्वितीय वर्ष था। इसमें कोरोना महामारी की दोहरी चुनौतियां और उत्तरी सीमाओं पर आक्रमकता का सामना किया। उन्होंने कहा कि हमें हमारे विरोधियों द्वारा किए जा रहे रक्षा आधुनिकीकरण की त्वरित गति को ध्यान में रखना होगा।
सेनाध्यक्ष ने कहा, 2020 एक अद्वितीय वर्ष था जिसमें हमने कोविड-19 महामारी और उत्तरी सीमाओं पर आक्रामकता की दोहरी चुनौतियों का सामना किया। पिछले साल की घटनाओं ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं की भेद्यता को सामने ला दिया है, जो आत्मनिर्भरता की आवश्यकता को रेखांकित करता है। आज रक्षा में आत्मनिर्भरता एक रणनीतिक आवश्यकता बन गया है। संघर्ष के पूरे स्पेक्ट्रम में आवेदन के लिए दीर्घकालिक क्षमताओं के निर्माण में निवेश करना हमारे लिए अनिवार्य है।
सेनाध्यक्ष नरवणे ने कहा, ‘आला तकनीक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऑटोनॉमस मानवरहित सिस्टम, लॉग रेंज प्रिसिजन टेक्नोलॉजी, क्वांटम कंप्यूटिंग, स्वार्म ड्रोन बेहतर हैं और इन सभी को निश्चित रूप से हमारे जानबूझकर और सतत प्रक्रिया के हिस्से के रूप में अधिग्रहित और अवशोषित करने की आवश्यकता होगी।’
उन्होंने कहा, ‘हमारे विरोधियों द्वारा किए जा रहे रक्षा आधुनिकीकरण की त्वरित गति को ध्यान में रखते हुए, हम थोड़ा पीछे रह गए हैं। विदेशी मूल के उपकरणों पर निरंतर और भारी निर्भरता भारतीय सशस्त्र बलों की स्वदेशी क्षमता के विकास के माध्यम से संबोधित करने की आवश्यकता है।’