मुंबई कोर्ट के विशेष एनआईए जज एके लाहोटी को बॉम्बे हाई कोर्ट ने नासिक स्थानांतरित कर दिया है जबकि 2008 मालेगांव ब्लास्ट केस की सुनवाई लगभग पूरी हो चुकी है। पीड़ित परिवारों के वकील ने जज को मुंबई में बनाए रखने की अपील की थी ताकि केस का निर्णय समय पर हो सके। मालेगांव ब्लास्ट में छह लोग मारे गए थे और मामले की जांच एनआईए कर रही है।
मुंबई कोर्ट के विशेष एनआईए जज एके लाहोटी जिनके अधीन 2008 मालेगांव ब्लास्ट केस की सुनवाई हो रही थी, उनको बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा जारी जिला जजों की सामान्य स्थानांतरण सूची में स्थानांतरित कर दिया गया है। उन्हें मुंबई से नासिक भेजा गया है और यह आदेश 9 जून से प्रभावी होगा।
जज लाहोटी को बनाए रखने की अपील
मालेगांव ब्लास्ट पीड़ितों के परिवारों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से पत्र लिखकर जज लाहोटी को मुंबई में बनाए रखने की अपील की थी। उनका कहना था कि मालेगांव केस में तर्क लगभग समाप्त हो चुके हैं और अब केस के निर्णय के लिए समय का दबाव है।
पीड़ित परिवारों का डर और स्थानांतरण की प्रक्रिया
वकील ने अपने पत्र में यह भी कहा कि जज लाहोटी का 2-3 साल का कार्यकाल जून 2022 में पूरा हो चुका है और अब उनकी संभावित स्थानांतरण की संभावना के कारण पीड़ित परिवार चिंतित हैं। उन्हें डर है कि बिना निर्णय दिए ही उनका स्थानांतरण न हो जाए।
मालेगांव ब्लास्ट और न्याय का इंतजार
2008 के मालेगांव ब्लास्ट में छह लोग मारे गए थे और कई अन्य घायल हुए थे। मामले की जांच पहले महाराष्ट्र एटीएस ने की थी, बाद में 2011 में इसे एनआईए को सौंपा गया था। अब लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या जज लाहोटी मालेगांव ब्लास्ट मामले का फैसला गर्मी की छुट्टियों से पहले दे पाएंगे।
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