हाईकोर्ट में सबसे पहले सुनवाई तत्काल सूची पर होती है और उसके बाद आर्डनरी केस सुने जाते हैं। पुराने केस रेगुलर सूची में चले जाते हैं और अकसर उन पर रोजाना या हर तारीख पर सुनवाई नहीं हो पाती है।
तारीख पर तारीख मिलते-मिलते तीन दशक से इंसाफ का इंतजार कर रहे लोगों को अब पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने 1993 से पहले के सभी मामलों को तत्कालीन सूची में शामिल करने का निर्णय लिया है। ऐसे में इन मामलों का अब त्वरित निपटारा होगा।
लंबित मामलों का बोझ कम करने के लिए ठोस कदम उठाते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पुराने मामलों की सुनवाई के लिए नई व्यवस्था लागू की है। इसके तहत 1993 से पुराने सभी मामलों की सुनवाई तत्काल सूची के साथ होगी, जिसमें तुरंत दाखिल मामले सुने जाते हैं।
1994 से 2000 तक के केस एडमिट केस आर्डनरी सूची में सुने जाएंगे। हाईकोर्ट ने निर्णय लिया है कि वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं के खिलाफ अपराध, दिव्यांग व्यक्तियों, किशोरों, भ्रष्टाचार निवारण के तहत आने वाले मामलों में से सन 2000 से पहले के मामलों को प्राथमिकता के आधार पर निपटाया जाएगा। 2021 तक दायर सामान्य नियमित दूसरी अपील, जहां नोटिस जारी नहीं हुआ है, उन्हें शीघ्रता से निपटाया जाएगा।
हाईकोर्ट पर लाखों मामलों का बोझ
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में फिलहाल 4,36,942 मामले लंबित हैं। इनमें 2,74,038 मामले सिविल और 1,62,904 आपराधिक केस के हैं। वर्तमान में हाईकोर्ट में जजों के स्वीकृत पदों की संख्या 85 है और केवल 55 जज ही कार्यरत हैं। वर्तमान में जजों के 30 पद रिक्त हैं जो हाईकोर्ट पर लंबित मामलों के बढ़ते बोझ का मुख्य कारण हैं।