उत्तर प्रदेश के कानपुर में पुलिस दल पर हमला करने वाला गैंगस्टर विकास दुबे अभी फरार चल रहा है और उसके बारे में अभी तक कोई सुराग नहीं मिल पाया है. पुलिस विकास दुबे को पकड़ने के लिए लगातार छापेमारी कर रही है.

कानपुर प्रशासन ने शनिवार को विकास दुबे के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की. प्रशासन ने विकास दुबे के बिठूर स्थित आवास को गिरा दिया. घर गिराने के लिए विकास दुबे की उसी जेसीबी का इस्तेमाल किया गया है, जिसके जरिये उसने पुलिस टीम को घेरा गया था.
बहरहाल, कहा जा रहा है कि अगर कानपुर के शिवली थाने के 19 पुलिसकर्मियों ने विकास दुबे के खिलाफ गवाही दी होती तो आज वह इतना बड़ा गैंगस्टर नहीं होता. 2001 में कानपुर के शिवली थाने में बीजेपी के दर्जा प्राप्त मंत्री संतोष शुक्ला की हत्या विकास दुबे ने दिनदहाड़े की थी. लेकिन इस हत्या के गवाह थाने में मौजूद तब के 19 पुलिस वाले इससे मुकर गए.
वर्ष 2006 में मामले की गवाही खत्म होते ही विकास दुबे बरी हो गया था. विकास दुबे के खिलाफ तब मृतक संतोष शुक्ला के भाई मनोज शुक्ला ने एफआईआर दर्ज कराई थी. उस समय थाने में पांच सब इंस्पेक्टर और 20 पुलिसकर्मी मौजूद थे जिनमें से 19 लोग गवाह बनाए गए थे.
कहा जाता है कि अगर उस समय विकास दुबे की मदद निचले स्तर पर प्रशासनिक तंत्र ने न की होती तो उसे अपने किए की सजा मिल गई होती और पुलिस इतने बड़े कत्लेआम से बच जाती.
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