टाटा समूह के दिग्गज कारोबारी रतन टाटा ने मुंबई के 18 साल के युवा अर्जुन देशपांडे की दवा बिक्री करने वाली कंपनी ‘जेनरिक आधार’ में 50 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी है. यह कंपनी खुदरा दुकानदारों को बाजार से सस्ती दर पर दवाएं बेचती है.

टाटा ने यह हिस्सेदारी कितने रकम में ली है. इसका खुलासा नहीं किया गया है. देशपांडे ने दो साल पहले अपने मां-बाप से पैसा लेकर कारोबार शुरू किया था.
देशपांडे ने इस सौदे की पुष्टि की है, लेकिन उन्होंने यह बताने से इंकार किया कि यह सौदा कितनी रकम में हुआ है. उन्होंने बताया कि बिजनेस टायकून रतन टाटा पिछले 3-4 महीने से उनके प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार कर रहे थे.
टाटा उनके पार्टनर बनना चाहते थे और कारोबार को चलाने के लिए उनके मेंटोर भी. अर्जुन देशपांडे ने हमारे सहयोगी प्रकाशन बिजनेस टुडे को बताया, ‘सर रतन टाटा ने दो दिन पहले ही जेनरिक आधार में 50 फीसदी हिस्सेदारी ली है, इस बारे में औपचारिक घोषणा जल्दी ही की जाएगी.’
सूत्रों के अनुसार, रतन टाटा ने यह निवेश व्यक्तिगत स्तर पर किया है और इसका टाटा समूह से लेना-देना नहीं है. गौरतलब है कि इसके पहले भी रतन टाटा ओला, पेटीएम, स्नैपडील, क्योरफिट, अरबन लैडर, लेंसकार्ट और लाइबरेट जैसे कई स्टार्टअप में निवेश कर चुके हैं.
देशपांडे ने दो साल पहले जेनरिक आधार की शुरुआत की थी. अब कंपनी की सालाना 6 करोड़ रुपये की बिक्री होती है. यह एक यूनीक फार्मेसी एग्रीगेटर बिजनेस मॉडल को अपनाती है. यह सीधे मैन्युफैक्चरर्स से जेनरिक दवाइयां खरीदती है और उसे खुदरा दुकानदारों को बेचती है. इसकी वजह से बीच में होलसेलर का करीब 16 से 20 फीसदी मार्जिन बच जाता है.
मुंबई, पुणे, बेंगलुरु और ओडिशा के करीब 30 रिटेलर इस कंपनी से जुड़े हैं और प्रॉफिट शेयरिंग मॉडल को अपनाया गया है. जेनेरिक आधार में 55 कर्मचारी हैं, जिनमें फार्मासिस्ट,आईटी इंजीनियर और मार्केटिंग प्रोफेशनल शामिल हैं.
देशपांडे ने बताया, ‘एक साल के भीतर हमारी योजना जेनेरिक आधार के तहत 1,000 फ्रेंचाइजी मेडिकल स्टोर खोलने की है. हम अपने कारोबार का विस्तार महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और दिल्ली तक करेंगे.’
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