संसद के दोनों सदनों में दिल्ली हिंसा पर हंगामा जारी है. हंगामे की वजह से बजट सत्र के दूसरे हिस्से में कोई भी कामकाज नहीं हो पाया है. जबकि दोनों ही सदनों से विभिन्न मंत्रालयों की अनुपूरक मागों को पारित कराया जाना है. इसको देखते हुए सरकार ने बजट सत्र में सभी मंत्रालयों की अनुदान मांगों को पारित करने के लिए ‘गिलोटिन’ का सहारा लेने का फैसला किया है.
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, सरकार को तीन अप्रैल से पहले बजट पारित कराना है, लिहाजा 16 मार्च को लोकसभा में गिलोटिन होगा. इस तरह का फैसला सरकारें पहले भी करती रही हैं. अगर 16 मार्च को लोकसभा में ‘गिलोटिन’ आया तो राज्यसभा में विधेयक पारित कराने के लिए 14 दिन और मिल जाएंगे.
इस बीच सरकार को दो अध्यादेश भी पारित कराने हैं. सरकार का दावा है कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. यूपीए-2 के समय भी हंगामे के बीच 18 विधेयक पारित कराए गए थे. इस बीच सरकार ने दिल्ली हिंसा पर बुधवार को लोकसभा और गुरुवार को राज्यसभा में चर्चा का प्रस्ताव रखा. सोमवार और मंगलवार को होली के कारण संसद की छुट्टी है.
बजट सत्र में मंत्रालयों की अनुदान मांगों को बिना चर्चा पारित कराने की प्रक्रिया को ‘गिलोटिन’ कहा जाता है. एक सामान्य प्रक्रिया में मंत्रालयों की अनुदान मांगों पर चर्चा होती है, इसके बाद सदन इसको संशोधन या इसके बिना पारित कर देता है, लेकिन भारत में कई मंत्रालय हैं, सभी के लिए चर्चा होना संभव नहीं है, इसलिए ऐसे में जिन मांगों पर चर्चा नहीं हो पाती है, उस पर मतदान कराकर पारित कर दिया जाता है, जिसे ‘गिलोटिन’ कहा जाता है.
इस बीच सरकार ने कांग्रेस के सात सांसदों के निलंबन पर अडिग होने का संकेत दिया है. सूत्रों ने कहा कि अगर निलंबित सदस्य अपने असंसदीय आचरण के लिए क्षमा भी मांग लें, तब भी निलंबन वापस नहीं होगा.
वहीं, कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई की लोकसभा सदस्यता रद्द करने पर विचार हो रहा है. माना जा रहा है कि घटनाक्रम की जांच के लिए बनी समिति सदस्यता खत्म करने पर विचार कर सकती है. गोगोई पर आरोप है कि उन्होंने आसन से कागज छीन कर फाड़ दिए.