तेलंगाना से अपने घर छत्तीसगढ़ के बीजापुर में लौट रही एक 12 साल की बच्ची मंजिल पर पहुंचने से पहले ही मौत के मुंह में पहुंच गई. कड़ी धूप में पैदल चलने की वजह से उसके शरीर में पानी की कमी हो गई जिससे डिहाइड्रेशन से उसकी मौत हो गई. इस बारे में ऑफिशियल जानकारी सोमवार को निकल कर सामने आई.

समाचार एजेंसी पीटीआई की अनुसार, 12 साल की बच्ची जमलो मकदम अपने समूह के लोगों के साथ तेलंगाना के कन्नईगुडा में मिर्च के खेतों में काम करती थी. जब 15 अप्रैल से लॉकडाउन 2.0 शुरू हुआ तो यह समूह 15 अप्रैल को वापस अपने घरों की और पैदल लौटने लगा.
तीन दिन तक पैदल चलने के बाद सभी ने 150 किलोमीटर की दूरी तय कर ली लेकिन 18 अप्रैल की सुबह घर पहुंचने के 50 किलोमीटर पहले बीजापुर के भंडारपाल गांव के पास बच्ची की मौत हो गई.
शरीर में पानी की कमी हुई तो हो गई मौत
बच्ची की मौत शरीर में इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन की वजह से हुई, जिसके परिणामस्वरूप बच्ची को उल्टी-दस्त हो गए और पानी की कमी हो गई. बच्ची की मौत के बाद समूह के सभी लोगों को डॉक्टरी जांच के दायरे में ले लिया गया और यह पता किया गया कि कहीं बच्ची को कोरोना तो नहीं हो गया था.
इस बारे में बीजापुर के चीफ मेडिकल और स्वास्थ्य अधिकारी बीआर पुजारी ने एजेंसी को बताया कि बच्ची की मौत के उसके सैंपल कोरोना वायरस की टेस्टिंग के लिए शनिवार को भेजे गए जिसकी रिपोर्ट रविवार शाम को आई. रविवार को इसकी रिपोर्ट आई तो उसमें कोरोना की रिपोर्ट नेगेटिव थी. बाद में राज्य सरकार ने बच्ची को माता-पिता को 1 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की.
लॉकडाउन में पैदल चले तो इन्हें मिली मौत
बता दें कि लॉकडाउन के दौरान कई प्रवासी अपने घरों के लिए वापस पैदल ही लौटे लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई थी. ऐसा ही एक मामला तब सामने आया था जब पहली बार लॉकडाउन लगा था. तब दिल्ली में काम करने वाले रणवीर सखवार पैदल ही अपने घर मुरैना के लिए निकले लेकिन दिल्ली से 200 किलोमीटर दूर आगरा में उनकी हार्टअटैक से मौत हो गई थी.
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