वित्तीय संकट से उबरने की कोशिश कर रही विमानन कंपनी जेट एयरवेज की मुसीबतें रविवार को कुछ कम हुईं. कंपनी के पायलटों के संगठन नेशनल एविएटर्स गिल्ड ने विमान नहीं उड़ाने के अपने आह्वान को 15 अप्रैल तक टाल दिया. गिल्ड के अघ्यक्ष करण चोपड़ा ने संवाददाताओं को बताया कि सदस्यों ने दिल्ली और मुंबई में हुई एक खुली बैठक में यह निर्णय लिया. उन्होंने कहा कि यह बैठक करीब चार घंटे चली. गिल्ड कंपनी के कुल 1,600 पायलटों में से करीब 1,100 पायलटों के प्रतिनिधित्व का दावा करता है. जेट ने कहा है कि वह दिसंबर के बकाया वेतन का भुगतान जल्द ही करेगी.
चोपड़ा ने कहा, ‘प्रबंधन ने हमारा वेतन (दिसंबर का) भुगतान कर सकारात्मक संकेत दिया है और हमने सोचा कि उन्हें मामला सुलझाने, अंतरिम बोर्ड गठित करने तथा हमारी आपत्तियों को दूर करने के लिये कुछ सप्ताह का समय देना चाहिये. इसी कारण मुंबई और दिल्ली में पायलटों द्वारा एक अप्रैल से उड़ान से दूर रहने के निर्णय को सामूहिक तौर पर 15 अप्रैल तक टालने की सहमति बनी ताकि दो सप्ताह में कुछ सकारात्मक सामने आ सके.’
गिल्ड ने जेट एयरवेज को बनाये रखने के लिये सरकार से 21 मार्च को दखल देने की अपील की थी. इसके बाद भारतीय स्टेट बैंक ने कहा था कि दो सप्ताह तक परिचालन बहाल रखने के लिये बैंक 1,500 करोड़ रुपये लगाएंगे. जेट एयरवेज के बोर्ड ने पिछले सोमवार को भारतीय स्टेट बैंक की अगुवाई वाले बैंकों के समूह की समाधान योजना को मंजूरी दे दी थी. योजना के अनुसार जेट एयरवेज का नियंत्रण कर्ज देने वाले बैंकों के पास चला गया और बैंकों ने कंपनी में 1,500 करोड़ रुपये लगाये हैं.
जेट एयरवेज पिछले साल अगस्त से पायलटों समेत इंजीनियरों और प्रबंधन के वरिष्ठ कार्यकारियों का वेतन भुगतान करने में असफल रही है. इस बीच एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कर्ज देने वाले बैंकों का समूह भारतीय स्टेट बैंक के पूर्व प्रमुख ए.के.पुरवार को अंतरिम प्रबंधन समिति का चेयरमैन बनाने पर विचार कर रही है. अधिकारी के अनुसार पुरवार को शीघ्र ही नियुक्त किये जाने की उम्मीद है. पुरवार 2002 से 2006 तक भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन रहे हैं.
इसके साथ ही अधिकारी ने बताया कि जेट एयरवेज के रिणदाता बैंक और संस्थान एयरलाइन के लिये नया निवेशक ढूंढने के वास्ते एसबीआई कैपिटल को सलाहकार नियुक्त करने की प्रक्रिया में हैं. उल्लेखनीय है कि स्टेट बैंक की अगुवाई में बैंकों के समूह ने 25 मार्च को वित्तीय संकट से जूझ रही जेट एयरवेज के लिये समाधान योजना को मंजूरी दी थी. इसके तहत एयरलाइन में 1,500 करोड़ रुपये की त्वरित सहायता योजना को मंजूरी दी थी.