उत्तर प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षामित्रों पर योगी सरकार अपनी ‘कृपा’ बरसाने वाली है। सरकार ने जिलों के दूर-दराज स्थित स्कूलों में तैनात शिक्षामित्रों की ‘घर’ वापसी का निर्णय लिया है। यानि, अब शिक्षामित्रों को उनके मूल स्कूल भेजा जाएगा। इसका फायदा एक लाख से ज्यादा शिक्षामित्रों को मिलेगा। बताया जा रहा है कि सीएम के निर्णय लेने के बाद गुरुवार को ही इससे संबंधित शासनादेश जारी कर दिया जाएगा। अपर मुख्य सचिव, बेसिक शिक्षा डॉ. प्रभात कुमार ने बताया कि फेरबदल का यह प्रोसेस 15 दिनों में पूरा हो जाएगा। खास बात यह है कि अगर शिक्षामित्र की वापसी पर उस स्कूल में शिक्षकों की आनुपातिक संख्या बढ़ती है तो नियमित शिक्षकों को वहां से हटाकर दूसरे स्कूल में भेजा जाएगा।
20 जून को शासन को भेजा था प्रस्ताव
अपने जिले के दूरदराज स्थित प्राइमरी स्कूलों में तीन से चार वर्ष से तैनात शिक्षामित्रों को मूल विद्यालय भेजने का प्रस्ताव 20 जून, 2018 को शिक्षा निदेशक बेसिक ने शासन को भेजा। इसमें कहा गया था कि शिक्षामित्रों को विकल्प लेकर मूल स्कूलों में भेजने का निर्णय शासन करे। बुधवार को मुख्यमंत्री ने शिक्षामित्रों को मूल स्कूल भेजने का निर्णय लिया है। डॉ. प्रभात कुमार ने बताया कि इस संबंध में गुरुवार को शासनादेश जारी कर दिया जाएगा। दरअसल, परिषद के प्राइमरी स्कूलों में 1।37 लाख शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन 25 जुलाई, 2017 को रद हो गया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने एक अगस्त, 2017 को बीएसए को निर्देश दिया कि वह समायोजित शिक्षकों को अब शिक्षामित्र के रूप में नियुक्त करे। साथ ही शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाकर दस हजार रुपये किया गया।
महिला शिक्षामित्रों को कई विकल्प
पुरुष शिक्षामित्र जहां मूल विद्यालय में ही वापस लौटेंगे, वहीं महिला शिक्षामित्र अगर शादीशुदा है तो वह ससुराल वाले गांव, पति के कार्य करने वाले गांव के स्कूल में जा सकती है। अविवाहित होने पर उसकी मूल स्कूल में वापसी संभव होगी। गौरतलब है कि इसके पहले सहायक अध्यापक पद पर समायोजन होने पर भी महिला शिक्षामित्रों से विकल्प लिया गया था। ऐसे में अगर वह दूसरे स्कूल में न जाना चाहें तो यह निर्णय भी ले सकती है।